लखनऊ,एजेंसी-19 सितम्बर। लखनऊ में प्रदेश भर के 75 डीएम, 75 सीडीओ और 18 कमिश्नरों की बैठक चल रही थी। इस बैठक को मुख्य सचिव लीड कर रहे थे। अचानक ही बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के सीएम अखिलेश यादव वहां पहुंच गए। खुद मुख्य सचिव को भी अखिलेश यादव के इस मूवमेंट के बारे में जानकारी नहीं थी। बैठक में अचानक ही अखिलेश के यहां पहुंचने से हड़कंप जैसे हालात बन गए।
वरिष्ठ नौकरशाहों को संबोधित करते हुए अखिलेश ने कहा कि कानून और व्यवस्था हमारी प्राथमिकता में होना चाहिए। हमने आप सबको पूरे अधिकार दे रखें हैं ताकि आप अपने हिसाब से फैसले ले सकें। सीएम ने कहा कि पंचायत चुनाव में कानून व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही बख्शी नहीं जाएगी। यदि जरा भी लापरवाही समझ में आई तो नापने में देर नहीं लगाऊंगा।
वरिष्ठ नौकरशाहों से मुखातिब होते हुए अखिलेश बोले की जिला पंचायत और उसके बाद ग्राम पंचायत चुनाव होने के बाद भी विकास के काम में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। कम्यूनल वाइलेंस की घटनाओं पर अखिलेश ने सीधे एक्शन लेने की बात कही। उन्होंने जन सुनवाई को भी नियमित करने की बात कही। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सूबे की कानून-व्यवस्था व विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करने के लिए यह बैठक बुलाई है।
यह बैठक त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के ऐलान के ठीक पहले बुलाई गई है, इसलिए इसका महत्व बढ़ गया है। शासन ने समीक्षा बैठक मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बुलाए जाने की बात कही है। मगर पुलिस प्रशासन ने बैठक की सुरक्षा योजना जारी करते हुए सीएम अखिलेश यादव के भी बैठक में शामिल होने का हवाला दिया है। हालांकि सीएम का बैठक में शामिल होने का अब तक कार्यक्रम जारी नहीं किया गया है।
विधानभवन के तिलक हाल में सवेरे दस बजे से होने वाली इस बैठक में मुख्य सचिव रंजन, डीजीपी जगमोहन यादव, एडीजी क्राइम हृदयेश चंद्र अवस्थी, एडीजी कानून-व्यवस्था दलजीत चौधरी के अलावा सभी प्रमुख सचिव, सचिव, सभी मंडलों के मंडलायुक्त व जिलों के जिलाधिकारी व मुख्य विकास अधिकारी बुलाए गए हैं। पहले यह बैठक 23 सितंबर को होने वाली थी। मगर, 21 सितंबर को पंचायत चुनावों की अधिसूचना जारी किए जाने की संभावना को देखते हुए यह बैठक पहले बुलाई गई है। लिहाजा अफसरों को इस बैठक में दिए जाने वाले दिशानिर्देशों पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।