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Tuesday, February 18, 2025

कार्पोरेशन ने दिया जवाब चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति पर

लखनऊ- भले ही लखनऊ, गाजियाबाद व नोयडा को 24 घंटे बिजली आपूर्ति के तय शेड्यूल की तरह ही इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, रायबरेली, अमेठी नगर आदि भी बिजली कटौती से मुक्त हैं लेकिन पावर कार्पोरेशन प्रबंधन का कहना है कि इन नगरों में अस्थाई व्यवस्था के तहत ही 24 घंटे बिजली दी जा रही है। ऐसे में तय शेड्यूल के तहत जहां 24 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है वहीं की बिजली की दर को सर्वाधिक 5.25 रुपये प्रति यूनिट प्रस्तावित है।

 

दरअसल, चालू वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए प्रस्तावित विद्युत दर के प्रस्ताव पर पिछले दिनों उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आपत्ति दर्ज करायी थी। आपत्तियों पर आयोग ने पावर कार्पोरेशन से जवाब मांगा था। अब कार्पोरेशन द्वारा आयोग को जो जवाब दिया गया है उस पर परिषद अध्यक्ष का कहना है कि जवाब सिवाय झूठ के कुछ नहीं है। कारपोरेशन प्रबंधन ने लखनऊ, नोयडा, गाजियाबाद को 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति को स्थाई शिड्यूल के तहत बताया है जबकि जन प्रतिनिधियों के अनुरोध पर इटावा, कन्नौज, मैनपुरी, रायबरेली नगर, अमेठी नगर, संभल, देव बन्द नगर, कस्बा सिरसी (भीमनगर), कस्बा विधूना(औरैया), कस्बा कंचौसी (कानपुर देहात) एवं कस्बा रसूलाबाद (कानपुर देहात) को 24 घण्टे आपूर्ति की जा रही बिजली के शिड्यूल को अस्थाई प्रकृति का बताते हुए कहा है कि आवश्यकता के अनुसार वह परिवर्तित होता रहता है। प्रबंधन ने यह भी माना है कि रेलवे व आगरा नगर एवं ताज ट्रिपेजियम क्षेत्र को उच्चतम न्यायालय के अनुपालन में 24 घण्टे आपूर्ति की जा रही है।

 

कारपोरेशन द्वारा लखनऊ, नोयडा, गाजियाबाद को स्थाई प्रकृति के तहत 24 घण्टे बिजली आपूर्ति का क्षेत्र मानते हुए उसकी घरेलू बिजली की दरें 5.25 रुपये प्रति यूनिट प्रस्तावित की गई है जबकि 24 घंटे आपूर्ति वाले उक्त अन्य वीवीआईपी क्षेत्रों को अस्थाई प्रकृति का माना गया है। कारपोरेशन द्वारा यह भी कहा गया कि लखनऊ लोकसभा क्षेत्र (1834 मेगावाट), नोयडा (2030 मेगावाट), गाजियाबाद (2952 मेगावाट) के विद्युत उपभोक्ताओं का संयोजित भार अधिक है और उक्त वीवीआइपी क्षेत्रों का कम। परिषद अध्यक्ष ने उक्त पर सवाल उठाते हुए कहा है कि साल में एक बार विद्युत दर तय होती है यह भी अस्थाई प्रकृति में आता है अभी पिछले वर्ष अक्टूबर में ही बिजली दर घोषित हुई है, फिर ऐसे में अस्थाई-स्थाई के आधार पर बिजली दर तय करने की बात करना पूरी तरह विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन है। वर्मा ने कहा कि कार्पोरेशन को मालूम होना चाहिए कि अस्थाई (टेम्परेरी) कनेक्शन के लिए सप्लाई की दरें महंगी होती है जबकि स्थाई कनेक्शन की दरें सस्ती होती हैं। ऐसे में अस्थाई प्रकृति की सप्लाई की दरें महंगी होनी चाहिए और स्थाई की सस्ती हो। वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री को खुद उक्त मामले की जांच करनी चाहिए।

 

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