वाराणसी. महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में दर्जनों लोगों की नियुक्ति फंस गयी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया अपनायी थी और लिफाफे खोलने के लिए बकायदा कार्य परिषद् की बैठक तक बुलायी गयी। बैठक में सदस्यों ने माना कि इस इसम नगर निगम चुनाव के लिए आचार संहिता लगी हुई है इसलिए नियुक्ति वाला लिफाफा खोलना ठीक नहीं है।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में कर्मचारियों का समायोजन, प्रमोशन व नयी नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया अपनायी गयी थी। ३ से २८ नवम्बर तक विशेषज्ञों की समिति ने विभिन्न लोगों के इंटरव्यू लिए थे। इस तरह से ललित कला विभाग, अर्थशास्त्र, मनोविज्ञान, गणित, उर्दू, विधि, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र आदि विभाग में कुल २१ अध्यापकों की नियुक्ति, ५ अध्यापकों का प्रमोशन व ४५ कर्मचारियों का समायोजन होना था, जिसके लिए ही कार्य परिषद् की बैठक बुलायी गयी थी। माना जा रहा था कि सभी लिफाफे खोल दिये जायेंगे और नियुक्त लोगों को ज्वाइन भी करा दिया जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके चलते नियुक्ति की आस लगाये लोगों को निराशा हुई। सभी सदस्यों ने कहा कि इस समय आचार संहिता लागू है इसलिए लिफाफे खोलना ठीक नहीं है। यदि नयी नियुक्ति कर ली जाती है और चुनाव आयोग कोई कार्रवाई करता है तो नयी नियुक्ति में पेंच फंस सकता है इसलिए नगर निगम चुनाव के बाद लिफाफे खोले जायेंगे।
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वीसी का कार्यकाल खत्म होने के बाद हो जायेगी नियुक्ति
काशी विद्यापीठ के वीसी डा.पी नाग का कार्यकाल २ फरवरी 2018 को पूरा हो रहा है। शासन के नियमानुसार वीसी का पावर एक नवम्बर को सीज हो गया है। इंटरव्यू पहले ही हो चुका था इसलिए नियुक्ति के लिफाफे खोलने में अधिक दिक्कत नहीं होगी। दिसम्बर में आचार संहिता खत्म होने के बाद लिफाफे खोलने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी।
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लिफाफा खोलने का पर्दे के पीछे से हो रहा था विरोध
काशी विद्यापीठ में लिफाफे खोलने का पर्दे के पीछे से ही विरोध हो रहा था। वीसी के सामने शिक्षक नहीं आ रहे थे, लेकिन चुनाव आचार संहिता की बात कहते हुए लिफाफे नहीं खोलने के लिए दबाव बनाने में जुटे थे। कार्य परिषद् ने खुद ही लिफाफे नहीं खोलने का निर्णय किया है इसलिए ऐसे शिक्षक भी अब शांत हो गये हैं।
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