नई दिल्ली – आम लोगों के आक्रोश को शांत करने के लिए जांच कमेटियों का गठन और उसकी रिपोर्टो को दबाने का सिलसिला जारी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी के साथ दिल्ली स्थित योजना भवन में हुई धक्कामुक्की व इसके अगले ही दिन खुद गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के घर पर हुई तोड़फोड़ को रोकने में सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय ने चुप्पी साध ली है।
दरअसल नौ अप्रैल को योजना भवन परिसर में ममता व उनके वित्तमंत्री अमित मित्रा के साथ एसएफआइ कार्यकर्ताओं की धक्कामुक्की ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया था। इसके अगले ही दिन जाट आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों ने शिंदे के घर में घुसकर तोड़फोड़ कर दी। इन दोनों ही घटनाओं के लिए दिल्ली पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी तय करने का फैसला किया गया और जांच की जिम्मेदारी मंत्रालय के अपर सचिव खुर्शीद अहमद गनई को दी गई। गनई ने एक हफ्ते के भीतर ही अपनी रिपोर्ट गृह सचिव आरके सिंह को सौंप दी, लेकिन मंत्रालय का कोई भी अधिकारी इस रिपोर्ट पर बोलने के लिए तैयार नहीं है।
गौरतलब है कि इसके पहले गृह मंत्रालय ने 16 दिसंबर को हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में दिल्ली पुलिस व सफदरजंग अस्पताल के अधिकारियों और डॉक्टरों की जिम्मेदारी तय करने के लिए संयुक्त सचिव वीणा कुमारी मीणा व दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस ऊषा मेहरा की कमेटी बनाई थी, लेकिन अभी तक इन कमेटियों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई हैं।