लखनऊ। कोरोना महामारी के दौर में बीते लगभग आठ माह में बारह कोविड डबल लंग ट्रांसप्लांट सहित पचास लंग और हार्ट ट्रांसप्लांट की प्रक्रियायें पूरी की है। यह ट्रांसप्लांट कृष्णा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साईंसिस (केआईएमएस), हैदराबाद के डाक्टर्स ने किये है। सितम्बर 2020 से अप्रैल 2021 के मध्य हुये इन ट्रांसप्लांट करने वाले हास्पिटल में पूरे देश से गंभीर रूप से पीड़ित मरीज़ आए थे, और इनमें से कुछ को कोविड 19 वाइरस के कारण सांस लेने में तकलीफ के ले उन्नत श्वास संबंधी सहयोग- ई एस एम ओ- की आवश्यकता थी। इन मरीज़ों को उत्तर में जम्मू और कश्मीर, पंजाब, दिल्ली; दक्षिण में केरल, कर्णाटक, पश्चिम में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान; और पूर्व में पश्चिम बंगाल, ओडिशा; और साथ ही केंद्रीय भारत मी९न मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से लाया गया था। रिकार्ड प्रदर्शन पर टिप्पणी करते हुए, डाक्टर संदीप अट्वार, प्रोग्राम निदेशक और मुखिया, थोरैसिक आर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम, केआईएमएस अस्पताल ने कहा, “समूह ने कोविड – 19 के कारण सांस लेने की तकलीफों से पीड़ित मरीज़ों के लिए 12 डबल लंग ट्रांसप्लांट किये हैं और सितंबर 2020 से उन्नत कार्डियो रेस्पिरेटरी फेलियर से पीड़ित महिलाओं की 38 हार्ट, डबल लंग और कम्बाइंड हार्ट डबल लंग ट्रांसप्लांट किये हैं। जबकि पहले, ध्यान लंबे समय की श्वास संबंधी बीमारियों पर था, पिछले 8 महीनों में ध्यान कोविड-19 महामारी के कारण उन्नत श्वास संबंधी तकलीफों के प्रबंध पर केंद्रित हुआ है। 50 थोरैसिक ट्रांसप्लांट प्रक्रियाओं के साथ जिसमें दोनों फेफड़े और दिल शामिल है, केआईएमएस ने फिर एक बार सबसे उन्नत स्वावस्थ्य देखभाल संस्थाओं में अपने नाम की घोषणा की है, ना केवल देश में बल्कि पूरे एशिया में। इस प्राप्ति से केआईएमएस अस्पतालों में तकनीकी उत्तमता और ज्ञान की उत्कृष्टता का प्रमाण मिलता है। हमें पूर्ण विशवास है कि यह केवल एक शुरुआत है और केआईएमएस आने वाले समय में देश के लिए और कई सफलताओं पर अपनी छाप छोड़ेगा। केआईएमएस के प्रबंध निदेशक, डाक्टर बी भास्कर राओ का मानना है कि एक व्यक्ति में कोविड 19 संक्रमण अप्रत्याशित है; लेकिन जिन मरीज़ों को बिमारी के शुरूआती समय में फेफड़ों की तकलीफ और श्वास संबंधी परेशानियां शुरू होती हैं उनकी बिमारी अधिक गंभीर हो सकती है। उन्नत श्वास संबंधी सहयोग जैसे ई सी एम ओ का इस्तेमाल इन मरीज़ों के इलाज में किया जाना चाहिए और उसे सैलवेज थेरेपी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। जो मरीज़ 2-4 हफ़्तों के बाद भी ई सी एम ओ के बावजूद सुधार के संकेत नहीं देते हैं उन्हें लंग ट्रांसप्लांट कराना चाहिए। संस्थान में समूह ने कोविड – 19 मरीज़ों के लिए 12 ट्रांसप्लांट किये हैं जो कि एशिया में सबसे अधिक है। प्रत्येक केस चुनौतीपूर्ण था और उससे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक केस में, एक नौजवान को 56 दिनों के लिए ई सी एम ओ सहयोग दिया गया और उसके बाद सफल डबल लंग ट्रांसप्लांट किया गया, जो कि के आई एम एस के लिए उच्च प्राप्ति थी। ई सी एम ओ ब्रिज केस भारत में सफल ट्रांसप्लांट के लिए सबसे लम्बा ई सी एम ओ ब्रिज है। इसी तरह, अन्य केस हैं जिसमें मरीज़ों को उच्च जोखिम की स्थिति से ठीक किया गया, जो कि कभी कभी चिकित्सक चमत्कार के बराबर है।