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Sunday, November 10, 2024

केजरीवाल पर कानून तोड़ने का आरोप, शुंगलू कमेटी ने फैसलों पर उठाए सवाल

Shunglu panel points out  gross abuse of power by AAP govt

नई दिल्ली। शुंगलू कमेटी ने केजरीवाल सरकार के कामकाज और उसके कई फैसलों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के एडमिनिस्ट्रेटिव फैसलों में कॉन्स्टिट्यूशन और प्रॉसेस से जुड़े रूल्स का वॉयलेशन किया गया। बता दें कि सितंबर 2016 में उस वक्त के एलजी नजीब जंग ने केजरीवाल सरकार के फैसलों के रिव्यू के लिए शुंगलू कमेटी बनाई थी। कमेटी ने 404 फाइलों की जांच की…
शुंगलू कमेटी ने सरकार के कुल 440 फैसलों से जुड़ी फाइलों को खंगाला है। इनमें से 36 मामलों में फैसले पेंडिंग होने की वजह से इनकी फाइलें सरकार को लौटा दी गई थीं। पूर्व कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल वीके शुंगलू की अगुआई वाली कमेटी ने केजरीवाल सरकार के फैसलों से जुड़ी 404 फाइलों की जांच कर इनमें कॉन्स्टिट्यूशनल प्रोविजंस के अलावा एडमिनिस्ट्रेटिव प्रॉसेस से जुड़े नियमों की अनदेखी किए जाने का खुलासा किया है। रिपोर्ट में हेल्थ मिनिस्टर सतेंद्र जैन की बेटी के अप्वाइंटमेंट को भी गलत ठहराया गया है।

ऑफिशियल्स ने सरकार को आगाह किया था
शुंगलू कमेटी ने चीफ सेक्रेटरी, लॉ एंड फाइनेंस सेक्रेटरी समेत दूसरे डिपार्टमेंट के सेक्रेटरीज को तलब कर सरकार के इन फैसलों को लेकर ऑफिशियल्स के रोल की भी जांच की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑफिशियल्स ने कमेटी को बताया कि उन्होंने इस बारे में सरकार को अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण (Encroachment of jurisdiction) के बारे में आगाह किया था। इसके लिए कानून के हवाले से दिल्ली में एलजी के कॉम्पिटेंट अथॉरिटी होने की भी बात सरकार को बताया था। इतना ही नहीं इसके गंभीर कानूनी नतीजों को लेकर भी सरकार को आगाह किया था।
रिपोर्ट में सभी फाइलों की जांच के आधार पर कहा गया है कि सरकार ने ऑफिशियल्स की सलाह को दरकिनार कर कॉन्स्टिट्यूशनल प्रोविजंस, जनरल एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े कानून और एडमिनिस्ट्रेटिव ऑर्डर का वॉयलेशन किया है। इसमें एलजी से पहले परमिशन लेने या फैसलों को लागू करने के बाद एलजी की परमिशन लेने और सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसले करने जैसी अनियमितताएं (Irregularities) शामिल हैं।

दूसरी बार भी नहीं बदला सरकार का नजरिया
रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी बार सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने संविधान और दूसरे कानूनों में बताई गई दिल्ली सरकार के लेजेस्टिव पाॅवर्स को लेकर भी बिल्कुल अलग नजरिया अपनाया था। इसमें सीएम अरविंद केजरीवाल के 25 फरवरी 2015 के उस बयान का भी हवाला दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि लॉ एंड ऑर्डर, पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों की फाइलें ही एलजी की परमिशन के लिए वाया सीएम ऑफिस भेजी जाएंगी।

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