· हाईपेक प्रक्रिया किसी भी शेष कैंसर कोशिकाओं को मारने के प्रयास के लिए डिज़ाइन की गई है।
· हाईपेक के साथ कीमोथेरेपी के सामान्य दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
लखनऊ, 2 जुलाई 2020: हाइपरथेराटिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी (हाईपेक), अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ कमलेश वर्मा द्वारा एक असामान्य कैंसर सर्जरी की गई है।
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल्स के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ कमलेश वर्मा ने कहा, ” हरदोई से 52 साल के मरीज श्री विनोद कुमार को स्यूडोमीक्सोमा पेरिटोनी (पीएमपी) का पता चला, यह एक असामन्य कैंसर है जो आमतौर पर एक धीमी गति से बढ़ने वाले कैंसर के रूप में शुरू होता है। इसके अंतर्गत पेट (पेरिटोनियल) की कैविटी में म्यूकिन (जेली जैसी सामग्री) की उपस्थिति पायी जाती है।
विनोद कुमार के जांच के बाद 4 मार्च 2020 को पता चला कि उन्हें पीएमपी हैं, और तुरंत कीमोथेरेपी पर डाल दिया गया। कीमो के दो महीनों के बाद कोई प्रमुख सुधार नहीं पाया गया क्योंकि कैंसर पेट से पेरिटोनियल (एब्डोमिनल) कैविटी की अंदरूनी सतहों से लेकर कोलन, छोटे बाउल लिवर और ओमेंटम (मोटापे से संबंधित हार्मोन स्रावित) तक फैल गया था। हमने हाईपेक (हाइपरथेरिक इंट्रापेरिटोनियल कीमोथेरेपी) सर्जरी करने का फैसला किया।
सबसे पहले सभी प्रत्याक्ष ट्यूमरों को साइटोरेडक्शन द्वारा हटाया गया, जो कि पेरिटोनियल कैविटी में फैला हुआ था। यह 17 घंटे लंबी सर्जिकल प्रक्रिया थी, जहां हम लगातार एक हीटेड स्टेराइल सलूशन लगभग 42-43 डिग्री सेंटीग्रेड को – एक कीमोथेराप्यूटिक एजेंट – अधिकतम दो घंटे तक पूरे पेरिटोनियल कैविटी में परिचालित किया जाता हैं। हाईपेक प्रक्रिया किसी भी शेष कैंसर कोशिकाओं को मारने के प्रयास के लिए डिज़ाइन की गई है। यह प्रक्रिया शरीर के बाकी हिस्सों में न्यूनतम साईडइफेक्ट्स के साथ दवा के अवशोषण और प्रभाव में सुधार करती है। इस तरह से कीमोथेरेपी के सामान्य दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
हाईपेक प्राइमरी कोलोरेक्टल कैंसर, ओवेरियन कैंसर, गैस्ट्रिक कैंसर और एपेंडिसियल कैंसर या मेसोथेलियोमा और स्यूडोमीक्सोमा पेरिटोनी से पीड़ित रोगियों पर किया जाता है। यह कैंसर सर्जरी एक आसामन्य सर्जरी में से एक है और डॉ कमलेश वर्मा पूरे उत्तर प्रदेश में इस प्रक्रिया पर काम करने वाले एकमात्र डॉक्टर हैं। रोगी, विनोद कुमार को छुट्टी दे दी गई है और पीएमपी से बचा लिया गया है, लेकिन सर्जरी के बाद अनुवर्ती प्रक्रिया के लिए अस्पताल आना जाना लगा रहता है।