इटावा. अजगर के किसी भी जानवर को शिकार बनाने की वैसे तो तमाम तस्वीरें सामने आई होंगी लेकिन जैसी तस्वीरें चंबल से इस दफा सामने आई इससे पहले कभी भी देखी नहीं गई होंगी। कभी खूंखार डाकूओं की शरण स्थली के तौर पर पहचाने जाने वाले इटावा जिले में बकेवर इलाके के गौतमपुरा गांव में एक अजगर ने नीलगाय के एक बच्चे को अपनी जद में ले लिया। अजगर की पकड़ इतनी मजबूत थी कि गांव वाले उसको किसी भी सूरत में मुक्त कराने की स्थिति में नहीं आ सके।
ग्रामीणों ने स्थानीय वन अफसरों की मदद ली। ग्रामीणों की सूचना पर गौतमपुरा गांव में वन विभाग की टीम लेकर वन रेंज अफसर विवेकानंद दुबे मौके पर पहुंचे। जिन्होंने ग्रामीणों की तरह ही मशक्कत करके नीलगाय के बच्चे को अजगर से अलग करने की कोशिश की, लेकिन तब तक नीलगाय के बच्चे को अजगर काफी हद तक अपना शिकार बना चुका था। वन विभाग की टीम ने बड़ी मुश्किल से नीलगाय को अजगर से अलग करके एक बोरे में बंद किया और उसके बाद जंगल में ले जाकर छोड़ दिया। इस काम में वन विभाग की टीम को काफी मशक्कत इसलिए भी करनी पड़ी, क्योंकि अजगर बहुत ही आक्रामक था। जिस शिकार को उसने अपनी जद में लिया हुआ था, उसको वह सही से निगल भी नहीं पाया और इसीलिए बेहद गुस्से में दिखाई दे रहा था।
लखना रेंज के वन रेंज अफसर विवेकानंद दुबे ने बताया कि उनको शनिवार दोपहर गौतमपुरा गांव में अजगर के शिकार करने की सूचना दोपहर में 1 बजे के आसपास ग्रामीणों के जरिए मिली। इसी सूचना पर वह अपनी टीम के साथ में गांव में पहुंचे। धान के खेत में अजगर नीलगाय के एक बच्चे को जकड़े हुए था। उसके मुंह को अपने मुंह से निकलने की तैयारी कर रहा था। मौके पर पहुंचने के बाद वन विभाग की टीम ने उसे अजगर से अलग करने की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से अजगर को अलग कर पाने में बाद की टीम कामयाब हुई। जिस समय अजगर को उसके शिकार नीलगाय से अलग किया जा रहा था उस समय अजगर ने कई बार वन विभाग की टीम के सदस्यों पर हमला भी किया।
उन्होंने बताया कि यह पहला दुर्लभ संयोग ही माना जाएगा क्योंकि इससे पहले अभी तक कभी भी इस तरह का कोई भी दृश्य उन्होंने अजगर के शिकार करने का नहीं देखा है। अमूमन इस तरह की तस्वीरें टीवी चैनलों पर ही देखी जाती हैं, लेकिन पहली दफा लाइव देखकर मैं हैरान हो गया। उन्होंने बताया कि जिस अजगर ने यहां पर नीलगाय को शिकार बनाया वह कम से कम दस फुट लंबा और तीस किलो के आसपास वजनी आंका गया है। वैसे तो पांच साल के दायरे में लखना रेंज में कम से कम 200 के आसपास अजगरों को रेस्क्यू किया गया होगा, लेकिन पहली दफा ऐसा सामने आया है जिसमें अपनी आंखों से किसी अजगर को किसी दूसरे जानवर को शिकार करते हुए देखा जा रहा था। उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में स्थित इस तरह से बिगड़ चुकी है कि हर दूसरे तीसरे दिन एक या दो अजगर गांव में निकल रहे हैं। जिससे लोगों को खासी परेशानी हो रही है।
इटावा के प्रभागीय निदेशक वन सत्यपाल सिंह का कहना है कि गांव वाले घर से निकलने से पहले सतर्कता बरतें और सुबह शाम विशेष रूप से अलर्ट रहने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि अजगर ऐसा सांप है जो वैसे तो लोगो को नुकसान नहीं पहुचाता लेकिन जब उसकी जद में कोई आ जाता है तो बचना काफी मुश्किल होता है। अजगरों के शहर की ओर आने के पीछे मुख्य कारण जंगलों का खासी तादात में कटान माना जा रहा है। कटान के चलते अजगरों के वास स्थलों को नुकसान हो रहा है। इसलिए उन्हें जहा भी थोड़ी बहुत हरियाली मिलती है, वहीं पर वह अपना बसेरा बना लेते हैं।