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Friday, January 17, 2025

कैसे होगी पूरी शासन की मंशा, 128 में सिर्फ 26 गांव शौचमुक्त।

शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- जिले स्तर पर शासन की मंशा के अनुरूप कितना काम हो रहा है। इसका अंदाजा आप पलिया ब्लाक के 128 गांवों में से अब तक केवल 26 गांव को ही खुले में शौच से मुक्त हो सके है। इससे आप अंदाज लगा लेंगे।
यानि अब तक सिर्फ बीस प्रतिशत शौचालय का हीं निर्माण हो सका है। यह स्थिति बेहद ही चिंताजनक है। और अगर शौचालय निर्माण का काम इसी स्पीड से चला तो कैसे 2 अक्टूबर तक समस्त गांव को खुले में शौच से मुक्त कराया जायेगा। ऐसा न होने पर शासन की मंशा पर पानी भी फिर जायेगा। इधर एसडीओ पंचायत कार्यालय किसी तरह रिपोर्ट तैयार कर आंकड़ों को दुरुस्त करने में लगा है।

पांच पंचायतों में प्रधान बनवाएंगे शौचालय:-

शौचालय निर्माण के लिए अभी तक लाभार्थियों को बारह हजार की रकम दी जाती है। हालांकि बीच में आदेश हुआ था। कि ग्राम प्रधान खुद शौचालय बनवाएंगे। इसका पैसा ग्राम पंचायत के खाते में भेज दिया जाएगा। बाद में इस नियम को हटा दिया गया। जबकि शौचालय निर्माण की प्रगति संतोषजनक नहीं है। इसके चलते पांच ग्राम पंचायतों का चयन करते हुए वहां पर ग्राम प्रधान और सचिव को शौचालय निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है। इसमें त्रिलोकपुर,पतिहन,मजघई, घोला और कोठिया ग्राम पंचायत शामिल है। यहां पर प्रधान और सचिव मिलकर एक माह के भीतर शेष रह गए शौचालयों का निर्माण कराएंगे।

यह गांव हुए ओडीएफ:-

कई महीनों की प्रक्रिया के बाद अभी 26 गांव को ही खुले में शौच मुक्त हो सके हैं। जिसमें बमनगर, लोहिया ,चंदन चौकी, मंगल पुरवा,ध्यानपुर, चौरी,पकरिया, बेलाधाई, रामनगर, भूपनगर, बहादुर नगर सहित तमाम गांव शामिल है।

अधिकारियों सचिव नहीं दे रहे हैं ध्यान:-

स्वच्छ भारत मिशन के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर अर्चना सिन्हा ने बताया कि एसडीओ पंचायत कार्यालय में बार रूम बना दिया गया है। जहां पर समस्त आंकड़ों की फीडिंग की जाती है। इसके अलावा वह रोजाना क्षेत्र भ्रमण कर लाभार्थियों से मुलाकात भी करती हैं। ताकि मानक के अनुरूप शौचालयों का निर्माण हो सके। उधर अधिकारियों और ग्राम पंचायत सचिवों अपने स्तर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। इतना ही नही वे क्षेत्रो में निरीक्षण भी नही करते हैं। और ना ही लाभार्थियों को जागरूक करने का कोई प्रयास करते हैं। एसडीओ पंचायत चैनुराम ने बताया कि कोशिश रहेगी कि निर्धारित समय में सभी गांव को ओडीएफ किया जा सके।

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