लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की वरीयता प्रदेश में कृषि तथा आम उपभोक्ता के फीडर को अलग करने के साथ ही तहसील स्तर पर अधिक से अधिक सब स्टेशन बनाने की है, लेकिन उनकी वरीयता को पावर कारपोरेशन अंजाम नहीं दे सकेगा। वित्तीय संकट के चलते अब सूबे में बिजली परियोजनाएं लटकेंगी। घाटे में चल रहे कारपोरेशन को बिजली परियोजनाओं के लिए न वित्तीय संस्थाएं अब लोन देने को तैयार हैं और न ही सरकार बड़ी धनराशि देने की स्थिति में है।
सूबे की बिजली व्यवस्था को सुधारने के लिए 1400 करोड़ रुपये से तहसील स्तर पर 338 नए सब स्टेशन बनाए जाने का अब तक जो प्रस्ताव था अब उससे पावर कारपोरेशन प्रबंधन पीछे हट रहा है। मुख्यमंत्री भी तहसील स्तर पर नए सब स्टेशन बनाने के पक्ष में थे। ऊर्जा विभाग के बजट के दौरान दावा किया गया था कि चालू वित्तीय वर्ष में ही उक्त कार्य को पूरा किया जाएगा लेकिन अब प्रमुख सचिव ऊर्जा व पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष संजीव मित्तल का कहना है उक्त में से करीब 25 फीसदी सब स्टेशन ही वित्तीय वर्ष में बनाए जाएंगे। मित्तल का कहना है कि खराब वित्तीय स्थिति के चलते कारपोरेशन को लोन मिलने में दिक्कत है। ऐसे में राज्य सरकार की वित्तीय मदद व कार्पोरेशन के खुद के वित्तीय संसाधन से जितने सब स्टेशन का निर्माण संभव होगा फिलहाल उतने ही बनाए जाएंगे।