28 C
Lucknow
Friday, January 17, 2025

कौन बनेगा गोवा का अगला CM? 3 नेताओं के बीच खींचतान

पिछले 7 महीनों से बीमारी से परेशान गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर को जांच के लिए दिल्ली लाया गया है. ऐसे में गोवा में पिछले 48 घंटों में राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहा है. गोवा में इस वक्त बीजेपी की सरकार दो क्षेत्रीय पार्टी और कुछ निर्दलीय विधायकों की मदद से चल रही है. ऐसे में बीजेपी बेहद सावधानी से राजनीतिक संभावनाओं को देख रही है.

कहा जा रहा है कि दिल्ली आने से पहले मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने पार्टी हाई कमान से अपना पद छोड़ने की इच्छा जताई है. खबर है कि गोवा के जिस हॉस्पिटल में उनका इलाज़ चल रहा था वहां उन्होंने दो क्षेत्रीय पार्टी के नेताओं से बातचीत की है. ये वो पार्टियां हैं जो इस वक्त गोवा में बीजेपी का समर्थन कर रही है. पर्रिकर ने इनसे नेतृत्व परिवर्तन को लेकर बातचीत की है.

महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी (MGP) के नेता और राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री सुदीन धावलिकर ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी और टाउन प्लानिंग मंत्री विजय सरदेसाई की मौजूदगी में पर्रिकर के साथ बैठक की थी. विधानसभा में दोनों पार्टियों के तीन-तीन विधायक हैं. 40 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 14 विधायक हैं. बीजेपी, उसके सहयोगियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की कुल मिलाकर संख्या 24 है, जबकि विपक्ष में बैठे कांग्रेस के 16 विधायक हैं.

गोवा की लोकल मीडिया में कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन कुछ विकल्पों पर चर्चा कर रही है. मसलन सुदीन धावलिकर बीजेपी के साथ अपनी पार्टी MGP का विलय कर सकते हैं और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. लेकिन पार्टी और संगठन के दो अन्य विधायक इस प्रस्ताव को लेकर ज़्यादा उत्सुक नहीं हैं.

दूसरा विकल्प ये है कि धावलिकर को उप मुख्यमंत्री बना दिया जाए और मनोहर पर्रिकर के न रहते हुए वो सरकार चलाए. ऐसे में धावलिकर को बीजेपी के साथ अपनी पार्टी MGP का विलय नहीं करना पड़ेगा. कहा जा रहा है कि मनोहर पर्रिकर की मौजूदगी में सरदेसाई के साथ बैठक में धावलिकर ने गोवा फॉरवर्ड पार्टी के नेता का इस फॉर्मूले पर समर्थन मांगा है.

लेकिन कहा जा रहा है कि गोवा फॉरवर्ड पार्टी मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री पद के लिए किसी क्षेत्रीय संगठन का समर्थन करने के इच्छुक नहीं हैं. तीन विधायकों के समर्थन के साथ सरदेसाई खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं.

इस बीच हर किसी की निगाहें मंत्री विश्वजीत राणे पर टिकी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के ताकतवर नेता प्रतापसिंह राणे के बेटे विश्वजीत राणे का पिछले एक साल में कद काफी बढ़ गया है. राणे जूनियर तीन बार के विधायक हैं और उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर 2017 का चुनाव जीता है. राणे ने संगठन के शीर्ष नेतृत्व पर ये आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी थी कि 17 सीट जीतने के बावजूद उन्होंने सरकार बनाने को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई.

बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गए और उन्हें बड़े अंतर से जीत मिली थी. कहा जाता है कि राणे का केंद्र में मौजूदा बीजेपी नेतृत्व के साथ अच्छा तालमेल है.

Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें