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Friday, January 24, 2025

कौन हैं ‘राय साहब’ जिनकी हर बात सुनते हैं अखिलेश यादव

लखनऊ. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी में प्रशांत किशोर(पीके) की काफी चर्चाएं थी। 2019 लोकसभा चुनाव से लगभग एक साल पहले अब यूपी की राजनीति के गलियारों में ‘राय साहब’ की काफी चर्चाएं हैं। समाजवादी पार्टी में इन दिनों कई बड़े नेता व प्रवक्ता ‘राय साहेब’ की कुंडली पता करने में लगे हैं। दरअसल बताया जा रहा है कि सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इन ‘राय साहब’ की हर राय मानते हैं। यही नहीं इन दिनों सपा की मीटिंग में भी राय साहब को खास तवज्जो दी जाती है। इसके अलावा प्रवक्ताओं को किन मुद्दों पर क्या बोलना है ये भी राय साहब ही बताते हैं। एक दौर में मुलायम सिह का गुरू सैफई के प्रधान दर्शन सिंह यादव को माना जाता है। अब जानकार ‘राय साहब’ को अखिलेश का गुरू तक कहने लगे हैं।
सपा नेता भी खोज रहे कुंडली
इन दिनों आप सपा के किसी भी नेता या प्रवक्ता से बात करें तो वे खुद ये पूछता है कि ‘क्या राय साहेब के बारे में कुछ पता चला’ ? ‘‘अध्यक्ष जी’ अखिलेश यादव से राय साहेब को किसने मिलवाया। जितने मुंह उतनी बातें. लेकिन सच ये है कि पार्टी के किसी नेता को उनका पूरा नाम तक नहीं पता है लेकिन राय साहेब को सबने देखा है। उनकी क्लास में बड़े बड़े नेता से लेकर पार्टी के प्रवक्ता भी मौजूद रहे हैं। प्रवक्ताओं के संग अब तो दो बार राय साहब की मुलाकात हो चुकी है।
क्या जापान से आए हैं?
सपा के कुछ नेता इन्हें मेरठ का तो कुछ इन्हें मथुरा का बताते हैं। सपा के एक नेता का कहना है कि “वह 70 साल के एक बूढ़े आदमी हैं और विदेश में रहते थे। “वह हमेशा जापान का जिक्र किया करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी का काफी समय वहीं बिताया है।”पार्टी नेतृत्व से उनकी निकटता के बारे में सभी जानते हैं। सपा के एक अन्य नेता ने कहा कि “आप हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं को जानते हैं। जब उनको पता चलता है कि वह अखिलेश यादव के एक खास व्यक्ति हैं तो हर कोई उनके दरवाजे पर पहुँच जाता है।“
हर मुद्दे पर देते हैं गाइडेंस
सूत्रों के मुताबिक, लगभग 70 साल के राय साहब मंच से लगभग हर मुद्दे के बारे में बात करते हैं। उन्होंने उन शब्दों की सूची भी तैयार की है जिनसे सपा के मीडिया दल के सदस्यों को बचना चाहिए, क्योंकि वे हिन्दू-विरोधी प्रतीत हो सकते हैं, वह उन कपड़ों पर जोर देते हैं जो उनको पहनने चाहिए और इस पर भी जोर देते हैं कि दूसरी जाति के नेताओं को अपने ही जातीय भाइयों को सपा में आमंत्रित करने के लिए कैसा रवैया अपनाना चाहिए। वह बीजेपी व आरएसएस के बारे में भी काफी नॉलेज रखते हैं। वे सपा कार्यकर्ताओं को बताते हैं कि कैसे बीजेपी की चाल में फंसने से बचा जाए।
सोशल इंजीनियरिंग का है काफी ज्ञान
सपा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हाल में ही लखनऊ में समाजवादी पार्टी की लगातार चार बैठकें हुई. यादव, मुस्लिम और ग़ैर यादव पिछड़े नेताओं की अलग अलग मीटींग हुई. फिर पार्टी के प्रवक्ताओं की बैठक हुई। राय साहेब सभी मीटिंग में मौजूद रहे। बूथ लेवल तक समाजवादी पार्टी कैसे मज़बूत हो से लेकर नेता कैसे भाषण दें। राय साहेब ने कई मुद्दों पर पार्टी नेताओं की क्लास ली। उन्हें जातीय समीकरणों को साधने के बारे में बताया। उपचुनाव के दौरान अखिलेश को उनकी सलाह काफी काम आई थी।
अखिलेश ने कुछ ऐसे परिचय दिया
जिस बैठक में उन्होंने पहली बार राय साहब को देखा उसमें अखिलेश यादव भी मौजूथ थे। उस दौरान अखिलेश ने बताया ‘ये मिस्टर राय हैं, आप सबको चुनावी रणनीति से लेकर प्रचार के तौर तरीक़े बतायेंगे। काफी पढ़े लिखे व्यक्ति हैं। हमारी मदद करने आए हैं’। इनकी बातों को गंभीरता से लें। फिर राय साहेब ने अपनी पहली स्पीच में कहा कि उन्हें कई और दलों से भी ऑफर था लेकिन वे समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हैं इसलिए अखिलेश जी की मदद करने आए हैं। सपा के कुछ नेता इन्हें मेरठ का तो कुछ इन्हें मथुरा का बताते हैं लेकिन कुल मिलाकर राय साहब अभी भी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए अनसुलझी पहेली बन गए हैं।

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