दीपक ठाकुर:NOI।
एक दौर था जब आसूमल को कोई जानता तक नही था,फिर बाद में जब यही आसूमल आसाराम बन कर आया तो इनके पीछे लाखो की भीड़ लगने लगी।लोग इनके वचनों को सुनने के लिए दूर दराज़ से आते और आध्यात्म में लीन हो जाया करते थे।लखनऊ के कृष्णा नगर में हुए एक प्रवचन का वाक्या तो मुझे भी याद है हालांकि उस वक़्त में उम्र में काफी छोटा था पर वहां का मंज़र जो याद है वो ऐसा था मानो साक्षात भगवान के दर्शन को लेकर भक्त आतुर हो कोई इनकी आरती वंदना करता दिखाई दे रहा था तो कोई इनके चरण छूने को आतुर नज़र आ रहा था।बड़ी सी जगह में बना इनका आश्रम भव्यता की चादर ओढ़े नज़र आ रहा था तो आस पास बस हरिओम हरिओम का जाप ही सुनाई दे रहा था।
समय बीतता गया बाबा की प्रसिद्धि भी बढ़ने लगी उनके आध्यात्म के प्रोग्राम टीवी पर आने लगे जिसमे आ कर लोग उनके गुणगान करने लगे ये सब देख भक्तों की भीड़ में भी इजाफा होने लगा आम तो आम खास भी उनके आगे नतमस्तक दिखाई पड़ने लगे।धीरे धोरे और गति आई आसाराम के आध्यात्म में फिर क्या देश विदेश में भी उन्ही के चर्चे सुनाई पड़ने लगे सबको लगा कि आसाराम का हाथ सिर पर हो तो उनका बाल तक बाका नही हो सकता लेकिन समय का चक्र कैसे राजा से फ़क़ीर और संत से शैतान बनाता है ये भी आसाराम के जीवन मे दिखाई दिया।
सन 2013 में नाबालिग से दुष्कर्म का ऐसा आरोप लगा कि सन्त नाम से लोगो मे दहशत सी होने लगी।भक्तों को आसाराम पर भरोसा था पर सुबूत और पीड़ित पक्ष की दलील चीख चीख कर कर रही थी कि ये आसाराम सन्त नही बलात्कारी है।आसाराम को जेल हुई भक्त रोने लगे ज़मानत पे ज़मानत पड़ी आसाराम काल कोठरी में ही फसे रहे कारण यही था कि जैसी करनी वैसी भरनी की बात जो सही साबित होनी थी आखिरकार पूरा मामला अदालत में बरसों तक चला आसाराम हर मामले में फसता नज़र आया और आया दिन 25 अप्रैल 2018 का जब अदालत को अपना फैसला सुनाना था।
25 अप्रैल 2018 को लेकर देश हाई एलर्ट पर था अनहोनी को रोकने के व्यापक इंतज़ामात किये गए थे अदालत ने कहा आसाराम दोषी है ये बात साबित हुई है और अपराध बेहद शर्मनाक है इएलिये इनको आजीवन जेल में ही रहना पड़ेगा।ये सुनकर आसाराम अदालत में रो दिया बाहर समर्थकों को विश्वास ना हुआ पर कोर्ट ने कह दिया तो बात पत्थर की लकीर मानी गई और अब आसाराम का प्रवचन जब तक जीवित हैं जेल में ही होगा ये बात भी तय है।
आसाराम के दो सहयोगी भी इसमें दोषी पाए गए जिन्हें 20 20 साल की सज़ा सुनाई गई उनका कुसूर ये था कि उन्होंने जिसे गुरु मानकर अपना सर्वस दे दिया उसी गुरु ने उनको जीते जी नरक में धकेल दिया।
आसाराम को भी वो मंज़र ज़रूर याद आता होगा जब बच्चा बच्चा उनके जयकारे लगाता था महिलाएं अपना घर द्वार छोड़कर बाबा से आध्यात्म की बात सुनने आया करती थी और मंत्री से महाराजा तक उनके साथ झूमता नज़र आता था।नाम बदलने के बाद मिली प्रसद्धि आसाराम की करनी से अपमानित हो गई जिनकी पूजा होती थी कभी आज वो सब बातें अपमानित हो गई।सबको सद्गुण का पाठ पढ़ाने वाला खुद अपराधी हो गया आज आसाराम भी सोच रहा होगा कि क्या से क्या हो गया।