नई दिल्ली, एजेंसी | भारतीय इंजिनियर लंबे समय से अमेरिका को प्रफेशनल और पर्सनल लेवल पर समृद्ध होने का एक अहम ठिकाना मानते रहे हैं, लेकिन अब वो गहरी चिंता में पड़ गए हैं क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रवादी हुंकार भरी जा रही है। डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ये नारे और तेज हो गए हैं। अपने वीजा के स्टेटस पर दुविधा और अमेरिका में अपनी वर्कप्लेस पर माहौल को लेकर कई इंडियन इंजिनियर परेशान हो गए हैं। उनमें से कई सोशल मीडिया पर निराशा और गुस्से का इजहार कर रहे हैं। ईटी ने अमेरिका में भारतीय मूल के कई इंजिनियरों से बात की, जिन्होंने भविष्य को लेकर डर जताया।
सात वर्षों से अमेरिका में रह रहे और H-1B वीजा पर एक टेक्नॉलजी कॉर्पोरेशन के लिए काम कर रहे एक सीनियर इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी प्रॉजेक्ट मैनेजर ने पूछा, ‘पिछले साल मेरी शादी हुई थी। दिल्ली में आरामदायक जिंदगी बिताने के लिए कितनी कमाई काफी होगी?’ वह भारत लौटने का विकल्प खंगाल रहे हैं। ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा प्रोग्राम सख्त करने का इरादा जताया है।
इस प्रोग्राम के जरिए तमाम इंडियन कोडर्स इस वक्त इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी सर्विसेज के दुनिया में सबसे बड़े बाजार में काम कर रहे हैं। इंडस्ट्री का अनुमान है कि अभी अमेरिका में H-1B वीजा पर करीब साढ़े तीन लाख भारतीय इंजिनियर काम कर रहे हैं। इनमें इन्फोसिस, टीसीएस और विप्रो के अलावा एक्सेंचर और आईबीएम जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) के कर्मचारी शामिल हैं। इंडियन आईटी इंडस्ट्री अभी करीब 150 अरब डॉलर की है।
अमेरिका में कई भारतीय इंजिनियरों ने जहां अहम फाइनैंशल फैसले टाल दिए हैं, वहीं कई अन्य का कहना है कि वाइट हाउस में प्रशासन बदलने के साथ उनकी जॉब पर खतरा बढ़ गया है। अमेरिका में डिग्री हासिल कर टेक्सस में रह रहे एक मैनेजमेंट ग्रेजुएट ने कहा, ‘मैंने मकान खरीदने का फैसला टाल दिया है क्योंकि मेरा वीजा अगले साल एक्सपायर होगा। मुझे नहीं पता कि मेरे ग्रीन कार्ड ऐप्लिकेशन पर क्या असर पड़ेगा।’
अमेरिका में 2012 से रह रहे और न्यू यॉर्क में काम कर रहे एक इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट स्पेशलिस्ट ने कहा कि ट्रंप के प्रेजिडेंट बनने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ गया है। उन्होंने बताया, ‘मैं जॉब की तलाश में था। कुछ हफ्तों पहले मुझे जॉब मिली, लेकिन उन्होंने अपॉइंटमेंट रोक दिया क्योंकि मेरे पास H-1B वीजा है।’ उन्होंने कहा, ‘समस्या यह है कि लीगल इमिग्रेशन पर ट्रंप के रुख के बारे में हमें अभी कुछ पता नहीं है, लेकिन उनके बारे में कभी भी कुछ पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है। इसलिए कंपनियां सतर्कता बरत रही हैं।’ H-1B वीजा पर कोई विदेशी कर्मचारी अमेरिका में अधिकतम छह साल रह सकता है और शुरुआती वैधता तीन वर्षों के लिए होती है, जिसे तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
अनिश्चितता इंजिनियरों पर ही नहीं, उनकी पत्नियों की स्थिति को लेकर भी है। ओबामा प्रशासन ने 2014 में निर्णय किया था कि H-1B वीजा धारकों की पत्नियां/पति अमेरिका में वर्क परमिट के लिए आवेदन कर सकते हैं। भारत की एक टॉप आईटी फर्म में बिजनस ऐनालिस्ट रह चुकीं और 2014 में शादी के बाद सैन फ्रांसिस्को भेजी गईं एक महिला ने कहा, ‘इस प्रावधान के तहत मुझे वर्क परमिट के लिए अप्लाई करना है, लेकिन अभी स्थिति साफ नहीं है कि क्या होगा।’ उनके पति सिलिकन वैली में एक बड़ी टेक्नॉलॉजी कंपनी में काम करते हैं।