अविनाश मिश्रा
छोटी जोत के किसान भाई औषधिय गुण वाले काला धान की खेती करके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैें। काला धान गुणकारी होने के साथ बहुत लाभप्रद भी है। किसानों के बीच इसकी लोकप्रियता को देखते हुए कई राज्यों की सरकार इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं।
क्या है काला सोना
इस चावल का रंग काला होता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कैंसर और मधुमेह से पीड़ितों के लिए लाभकारी है। उनके मुताबिक, काला चावल चर्बी कम करने के साथ पाचन शक्ति भी बढ़ता है। इसकी खेती चीन में बड़े पैमाले पर की जाती है जबकि भारत में इसकी खेती मणिपुर और असम में होती है। हालांकि अब देश के कई दूसरे राज्यों में काला धान उगाया जाने लगा है। काला चावल तेजी से भारत भर लोकप्रिय हुआ है।
कम पानी में ही फसल तैयार
काले धान के पौधे की लंबाई कुछ अधिक होती है। पारंपरिक धान के पौध की लंबाई साढ़े तीन से चार पुट होती है जबकि काले धान के पौध की लंबाई चार फुट से साढ़े चार फुट तक होती है। इस धान के खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है। कम पानी में भी आसानी से हो जाता है। फसल तैयार होने में भी अधिक समय नहीं लगता है। आमतौर पर अवधि 120 दिन होती है।
250 रुपए प्रति किलो
पारंपरिक धान के मुकाबले काले धान से कमाई अधिक होती है। कई राज्य सरकारें इसकी खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। पांरपरिक चावल 20 से 80 रुपए तक बिकते हैं, वहीं इसके चावल की कीमत 250 रुपए तक होती है। जैविक तरीके से ऊपजाएं गए काले धान के चावल की कीमत 500 रुपए तक मिल जाती है।
विटामिन और एंटी ऑक्सीडेट का खजाना
काले धान के चावल में विटामिन बी, ई के साथ कैल्शियम , मैग्नीशियम, आयरन और जिंक आदि प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। ये सारे हमारे शरीर में एंटी ऑक्सीडेट का काम करते हैं। इसके सेवन से खून भी साफ होता है। काले धान की खेती में रासायनिक खाद का प्रयोग न होने से इसके चावल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है ।
बीज ऑनलाइन उपलब्ध
कई ई-कॉमर्स कंपनियां इसका ऑनलाइन बीज उपलब्ध करा रही हैं। भारत में काले धान की खेती सबसे पहले मणिपुर में शुरू हुई थी। ई-कॉमर्स वाली कंपनियां पूर्वोत्तर राज्यों के किसान से ही बीज खरीद कर देशभर बेच रही हैं।
(लेखक युवा पत्रकार हैं। इन दिनों एक प्रतिष्ठित अखबार के बिहार ब्यूरो में कार्यरत हैं। संपादन प्रियांशू ने किया है।)