नई दिल्ली, एजेंसी । गंगा सफाई मामले पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फिर से राष्ट्रीय गंगा सफाई मिशन (एनएमसीजी) के वरिष्ठ अधिकारी को फटकार लगाई है। एनजीटी ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गंगा सफाई के नाम पर संसाधनों और समय का सिर्फ नुकसान ही किया जा रहा है।
विभागों में आपसी संवाद न कायम होने के कारण गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के लिए आज तक कोई ठोस योजना नहीं तैयार हो सकी है। प्राधिकरणों के इस दलील पर भी एनजीटी ने नाराजगी जाहिर की जिसमें वे गंगा किनारे सभी उद्योगों के जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेएलडी) होने की बात कह रहे हैं। पीठ ने कहा कि उद्योग संघ स्वयं जेएलडी के आधारहीन होने की बात ट्रिब्यूनल के समक्ष स्वीकार चुके हैं।
जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को एमसी मेहता व गंगा से जुड़े अन्य मामलों पर सुनवाई की। याची एमसी मेहता ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के प्राधिकरण यूपी में गंगा किनारे उद्योगों के आंकड़े की गलत तस्वीर पेश कर रहे हैं।
(यूपीपीसीबी) के मुताबिक यूपी में गंगा किनारे कुल 6385 उद्योग हैं। जबकि अन्य केंद्रीय एजेंसी के मुताबिक यूपी में कुल 1 लाख 40 हजार उद्योग स्थित हैं। वहीं यूपीपीसीबी ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि याची का आंकड़ा सिर्फ नामांकन का है।
उद्योग विभाग से आए डायरेक्ट को भी एनजीटी ने फटकार लगाई
इसके बाद उत्तर प्रदेश के उद्योग विभाग से आए डायरेक्ट को भी एनजीटी ने फटकार लगाई। पीठ ने कहा कि क्या आप इंडस्ट्री के नामांकन का सर्टिफिकेट नहीं जारी करते हैं। इस पर उन्होंने कहा कि सब कुछ वेबसाइट के जरिए हो जाता है। हमारी जरूरत नहीं होती। इस पर पीठ ने कहा कि बीते तीन वर्षों में यह महसूस किया गया है कि गंगा के संबंध में सही आंकड़ों को जुटाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। सभी एजेंसियों के पास उद्योगों के अपने आंकड़े हैं। पीठ ने कहा कि क्या 90 हजार से ज्यादा नामांकन करने वाले उद्योग हवा में मौजूद हैं? पीठ ने संबंधित अधिकारी से बुधवार को आंकड़ों और जवाब के साथ पेश होने के लिए कहा।
वहीं पीठ ने सीपीसीबी, एनएमसीजी व यूपी के अधिकारियों से कहा कि वे गंगा में जुडने वाले 30 प्रमुख नालों के संबंध में स्पष्ट जवाब लेकर आएं। पीठ ने पूछा कि क्या इन नालों के अंतिम मुहाने पर शोधन के लिए कुछ किया जा सकता है या नहीं?
सुनवाई के दौरान किसी तरह का निष्कर्ष नहीं निकला। पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई जारी रहेगी। प्रधान पीठ ने कहा कि वे हर्दिवार से उन्नाव तक गंगा क्षेत्र के लिए फरवरी के अंत तक फैसला सुनाएंगे। इसके बाद किसी तरह की छूट और मोहलत नहीं दी जाएगी। पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि आप लोग मिलकर गंगा सफाई के मिशन को पूरा करें। आदेशों का पालन करें।
वहीं एनजीटी ने प्राधिकरणों को फटकार लगाते हुए कहा कि आप लोगों ने 5 से 10 हजार करोड़ रुपये गंगा सफाई पर खर्च कर दिया है लेकिन नतीजा अब भी सिफर है। इस तरह से समस्या का समाधान नहीं होगा। कम से कम नदियों को बचाइए। शहर बचाना आपके बूते की बात नहीं है।