नई दिल्ली,एजेंसी। खादी ग्रामोद्योग के जरिए अपने नव वर्ष के कैलेंडर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बजाय चरखा चलाते हुए पीएम मोदी की तस्वीर छापने से सियासी बवाल मचा हुआ है। विपक्ष ने खादी के इस कदम की घोर निंदा करते हुए पीएम पर गांधी को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया था।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बापू की तस्वीर की जगह पीएम मोदी की तस्वीर बिना पीएम से पूछकर लगाई गई थी। अब खबर है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ पीएम मोदी कड़ा एक्शन ले सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस मामले में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) से जवाब मांगा है। साथ ही पीएम मोदी खादी के इस कदम से सख्त नाराज हैं।
सूत्रों के मुताबिक नाम नहीं छापने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि बिना इजाजत सरकारी या प्राइवेट एंटिटी की तरफ से ‘प्रधानमंत्री को खुश करने या उनके करीब दिखने के लिए ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। अधिकारी ने कहा कि इससे पहले टेलीकॉम कंपनी जियो और पेटीएम के विज्ञापन में भी प्रधानमंत्री की फोटो का बिना इजाजत इस्तेमाल हुआ था।
पीएम मोदी की फोटो खादी के वार्षिक कलैंडर पर लगाने को लेकर छिड़े विवाद पर भाजपा सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा था कि खादी ग्रामोद्योग की डायरी और कैलेंडर के मामले को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जा रहा है। शर्मा ने कहा कि खादी के कैलेंडर और डायरी में सिर्फ गांधीजी की तस्वीर लगे ऐसा कोई नियम नहीं हैं, इसलिए किसी नियम का उल्लघंन नहीं हुआ हैं।
इससे पहले 1996, 2002, 2005, 2011, 2012 और 2013 में भी जो खादी ग्रामउद्योग का कैलेंडर रिलीज हुआ था उसमें भी गांधी जी की तस्वीर नहीं थी। भाजपा का कहना है कि पीएम मोदी ने खादी को बतौर ब्रांड के रूप में प्रचारित किया है। उनके जरिए खादी की ब्रांडिंग के बाद से बिक्री में अभुतपूर्व वृद्धि हुई है। जबकि यूपीए की 10 सालों की सरकार में खादी की बिक्री 2 से 7 प्रतिशत तक होती थी।