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Friday, December 6, 2024

गुजरात चुनाव: पहले चरण की वोटिंग से नाखुश बीजेपी खेलेगी ट्रंप कार्ड!

नई दिल्ली, एजेंसी । गुजरात विधानसभा चुनाव अभियान में बीजेपी ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी है लेकिन अब भी एक ऐसा हथियार पार्टी ने बचा रखा है, ये है सांप्रदायिक कार्ड जिसे बीजेपी ने आखिरी समय के लिए बचाकर रखा हुआ है। ऐसा लग रहा है कि शनिवार को पहले चरण की वोटिंग के बाद झटका महसूस कर रही भगवा पार्टी ने अपना ट्रंप कार्ड चलने का मन बना लिया है।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के घर पर एक बैठक हुई थी जिसमें पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेता शामिल हुए थे। बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस को पाकिस्तान सरकार ने यह सुझाव दिया था कि गुजरात चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री के तौर पर अहमद पटेल का नाम आगे बढ़ाएं।

केंद्रीय वित्त मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता अरुण जेटली ने मांग की कि यह कांग्रेस की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि उस बैठक में किन चीजों पर चर्चा हुई उनके बारे में लोगों को बताए। यह विवाद कुछ दिन पहले शुरू हुआ जब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट करके आरोप लगाया कि पाकिस्तान उच्चायोग के तीन अधिकारी मणिशंकर अय्यर के घर पर मीटिंग करने पहुंचे थे।

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने गांधीनगर में सवाल किया कि पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मणिशंकर अय्यर के साथ मीटिंग की। गुजरात चुनाव से पहले, बिना विदेश मंत्रालय को पाकिस्तान के अधिकारियों से मीटिंग की बाबत जानकारी दिए ऐसा किया गया। शाह ने कहा कि मैं नहीं जानता कि इससे क्या संदेश जाएगा?

शाह ने आरोप लगाया कि कश्मीर की आजादी को लेकर आवाज बुलंद करने वाले सलमान निजामी ने गुजरात में प्रचार अभियान में जुटा हुआ है। गुजरात के लोग कांग्रेस के कुटिल तरीकों को अच्छी तरह समझते हैं। पीएम मोदी ने रविवार को सानंद की रैली में कहा कि कांग्रेस नेताओं ने, जिसमें पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी शामिल थे, ने पाकिस्तानी उच्चायोग के अधिकारियों और वहां के पूर्व विदेश मंत्री के साथ तीन घंटे लंबी मीटिंग की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व आर्मी चीफ ने गुजरात का चुनाव कांग्रेस द्वारा जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए अहमद पटेल का नाम आगे बढ़ाया। मोदी के भाषण में ऐसे बयान भी थे जिनसे सांप्रदायिक निहितार्थ निकाला जा सकता है।

क्या मानते हैं विश्लेषक

विश्लेषकों का मानना है कि भगवा पार्टी को महसूस हो रहा है कि पाटीदार और ओबीसी आंदोलन के कारण पहले चरण के चुनाव में ज्यादा कुछ हाथ लगने वाला नहीं है और दूसरे चरण को अपने पक्ष में मोड़ना है तो सांप्रदायिक भावनाओं के जरिये ही इसकी भरपाई की जा सकती है। विश्लेषक यह भी मानते हैं कि 89 सीटों पर पहले चरण में हुई 66.75 प्रतिशत वोटिंग और वह भी पाटीदार समुदाय की तरफ से भारी मतदान के कारण सौराष्ट्र क्षेत्र में बीजेपी का भविष्य धुंधला नजर आ रहा है।

पिछले विधानसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग में 71.75 फीसदी वोटिंग हुई थी और बीजेपी ने 89 में से 63 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस के हिस्से 22 सीटें आई थीं। एक सीट एनसीपी को मिली थी। विश्लेषक मान रहे हैं कि पाटीदार समुदाय बहुल सीटों पर भारी मतदान और बाकी जगहों पर कम वोटिंग के चलते बीजेपी के लिए हालात उलट नजर आ रहे हैं। दक्षिण गुजरात के नवसारी और मोरबी में सबसे ज्यादा 75 फीसदी मतदान हुआ

सौराष्ट्र के पोरबंदर और बोतड जिले में सबसे कम 60 प्रतिशत वोटिंग हुई। जमीनी रिपोर्ट इशारा कर रही है कि पाटीदार सीटें अमरेली, राजकोट, जूनागढ़ और गिर-सोमनाथ जिलों में पड़ती हैं। ये तो वक्त बताएगा कि बीजेपी को इस दौर में किस तरह की उठापटक से गुजरना पड़ा लेकिन कैडर से मिल रही रिपोर्ट से यही इशारा जा रहा है कि बीजेपी का प्रदर्शन पहले चरण में काफी हल्का रहा है। ऐसा अनुमान है कि परंपरागत तौर पर 20 से 30 प्रतिशत पाटीदार समुदाय बीजेपी के खिलाफ मतदान करता था लेकिन इस बार यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से ऊपर जा सकता है।

क्या हो सकता है कारण

बीजेपी के अभियान में ऊर्जा का अभाव, नरेंद्र मोदी सरीखे स्टार प्रचारकों के बावजूद पार्टी का अपना वास्तविक प्रभाव छोड़ने में विफल रहना, घोषणापत्र लाने में जरूरत से ज्यादा देरी और नजरिये में जरा सा भी बदलाव न करना बीजेपी को सौराष्ट्र की कुछ अहम सीटों पर नुकसान के रूप में नजर आ सकता है। वहीं हार्दिक पटेल की पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से की जा रही रैलियों ने बीजेपी के खिलाफ माहौल बना दिया और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना दिया। इस वजह से ओबीसी समुदाय में निराशा भी बढ़ी है, जिसका नतीजा ये हो सकता है कि कांग्रेस को ओबीसी वोट शायद कम मिले। गौरतलब है कि सौराष्ट्र में पाटीदार और ओबीसी कोली समुदाय का वर्चस्व है।

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