गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के रण से सूबे के सियासी भविष्य का अंदाजा लगाया जा सकेगा। जहां एक ओर ये चुनाव पीएम मोदी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है तो वहीं राहुल गांधी के लिए खुद को साबित करने की परीक्षा है। तो आखिर क्या कहते हैं गुजरात के सियासी समीकरण…
बीजेपी गुजरात विधानसभा की सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ रही है
जबकि कांग्रेस ने 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं
पहले चरण में 89 सीटों पर 977 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं
2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों में सौराष्ट्र में बीजेपी का वर्चस्व देखने को मिला था
2012 में भाजपा को 115 सीटों पर जीत हासिल हुई थी
कांग्रेस को महज 61 सीटें मिली थीं
पहले चरण में सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात को अपनी सरकार चुननी है… आइए अब एक नजर डालते हैं इन जगहों पर पिछले चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस की क्या स्थिति थी…
2012 में हुए विधानसभा चुनावों में सौराष्ट्र और कच्छ की 58 सीटों में से 35 सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया
कांग्रेस ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी
2 सीटें गुजरात परिवर्तन पार्टी को मिलीं
एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने जीती थी
मौजूदा गुजरात चुनावों को 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इन चुनावों में कोई अपनी पहचान बचाने के लिए संर्घष कर रहा है तो कोई अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। गुजरात में बीजेपी 2 दशक से सत्ता पर काबिज है लेकिन, इन चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक रखी है।
पीएम मोदी ने झोंकी सारी ताकत
गुजरात मतलब मोदी और मोदी मतलब गुजरात। गुजरात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ माना जाता है। लेकिन इस बार के विधानसभा चुनावों में मोदी का डर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। तभी तो गुजरात चुनाव के इस मुकाबले में बीजेपी को आधे दर्जन से ज्यादा फायर ब्रांड केंद्रीय मंत्रियों को प्रचार में उतारना पड़ा है। केंद्रीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारण, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला, केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडविया, इतना ही नहीं पीएम मोदी के साथ-साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, और अमित शाह पूरी तरह से गुजरात की जंग में कूदे हुए हैं। आलम ये है कि दूसरे राज्यों के जिला स्तरीय पार्टी पदाधिकारी भी गुजरात बुला लिए गए हैं।
राहुल की लीडरशिप की होगी परख
जहां एक तरफ गुजरात चुनाव को पीएम मोदी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बताया जा रहा है तो वहीं राहुल गांधी के लिए भी कठिन परीक्षा की घड़ी है। क्योंकि, गुजरात चुनावों के जरिए निश्चित तौर पर राहुल गांधी की लीडरशीप की परख की जाएगी। जाहिर है गुजरात चुनाव में राहुल भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। राहुल अपनी रैलियों में सत्ता पर काबिज बीजेपी से 22 साल का हिसाब मांग रहे हैं। राहुल गांधी बीजेपी से ट्विटर पर गुजरात मांगे जवाब हैशटैग के जरिए सवाल पूछ रहे हैं। राहुल किसान, युवा, महिला सुरक्षा, बेरोजगारी, कुपोषण, व्यापारियों की परेशानी जैसे सवाल उठा रहे हैं। यकीनन गुजरात का ये चुनावी घमासान दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। पहले चरण के रण के बाद हवा आगे बढ़ेगी।