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Friday, September 20, 2024

गुजरात में टिकट को लेकर BJP के मौजूदा विधायकों की सांस अटकी



नई दिल्ली। गुजरात बीजेपी में सबकी नजरें विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची पर हैं। पार्टी के कई मौजूदा विधायकों को डर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सरकार विरोधी लहर से निपटने के लिए टिकटों के बंटवारे में अपना जांचा-परखा फॉर्म्युला आजमा सकते हैं। इसके तहत कई मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने की बात है। हालांकि, कुछ विधायकों की उम्मीद है कि राज्य के नए राजनीतिक समीकरण दल-बदल से बचने के लिए हाई कमान को शायद ऐसा कोई कदम उठाने से रोक दें।

मोदी ने 2007 में गुजरात में बीजेपी के 47 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया था। हालांकि, 2012 में टिकट काटे जाने वाले विधायकों का आंकड़ा घटकर 30 पर पहुंच गया। जाहिर तौर पर केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी की तरफ से उभरी चुनौतियों के मद्देनजर ऐसा हुआ था। 2002 में जब मोदी ने पहली बार मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी की अगुवाई की थी, तो उस वक्त बीजेपी के 121 मौजूदा विधायकों में से 18 का टिकट काटा गया था।

अब केशुभाई तो बीजेपी के लिए राजनीतिक खतरा नहीं हैं, लेकिन हार्दिक पटेल बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। बेशक हार्दिक का कद केशुभाई के मुकाबले काफी कम है, लेकिन पटेल कोटा आंदोलन को लेकर जिस तरह से यह समुदाय एकजुट हुआ, ऐसा पहले कभी नहीं देखने को मिला। हार्दिक के कांग्रेस का समर्थन करने की पूरी संभावना है, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ, तो भी वह बीजेपी को तो किसी सूरत में नहीं समर्थन करेंगे।

हार्दिक पटेल के साथ बातचीत किसी नतीजे पर पहुंच जाने के बाद ही कांग्रेस अपने उम्मीदवारों का ऐलान करेगी। उसके पास पहले से ही ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर और दलित नेता जिग्नेश मेवानी का समर्थन है। ठाकुर ने अपनी इकाई का विलय कांग्रेस के साथ कर लिया है। चूंकि ठाकुर और हार्दिक के बीच हितों का टकराव है, लिहाजा अगर हार्दिक कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं, तो पार्टी को कुछ चुनाव क्षेत्रों में टिकट बंटवारे के लिए आम-सहमति बनानी होगी, खासतौर से वैसी सीटों पर जहां दोनों पक्षों को अपने लिए बेहतर संभावना नजर आती है।

कांग्रेस पहले ही अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान ऐलान कर चुकी है कि इस बार सभी मौजूदा विधायकों को टिकट दिया जाएगा। अगर पार्टी अपनी इस बात पर कायम रहती है, तो 43 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के बारे में फैसला पहले ही हो चुका है।

उम्मीदवारों के नाम को अंतिम रूप देने में बीजेपी नए जाति समीकरणों को ध्यान में रख सकती है। अगर पार्टी को लगता है कि कुछ विधायकों के खिलाफ आक्रोश है, तो उन्हें शायद इस बार पार्टी चुनाव लड़ने का मौका नहीं दे। साथ ही, अगर पार्टी किसी सीट पर किसी अन्य जाति के उम्मीदवार को उतारने का फैसला करती है, तो भी मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है।

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