सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अमरेंद्र पाण्डेय/NOI
साथियों,
पत्रकारिता क्षेत्र से जुड़े रहे वर्तमान उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री संत शिरोमणि योगी आदित्यनाथ जी के जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाओं व बहुत बहुत बधाई के साथ पूर्ण बहुमत लिए योगी सरकार से पत्रकार हितकारी उम्मीद लिए चर्चा कर रहे हैं अखबारों की जान एवं अखबार का आकार माने जाने वाले ग्रामीण स्तरीय पत्रकारों की, जो थाना तहसील ब्लाक कस्बा स्तर पर समाचार संकलन और प्रेषण का कार्य करते हैं।ग्रामीण परिदृश्य और उसकी असली तस्वीर को सरकार तक पहुँचाने वाले इन ग्रामीण पत्रकारों की स्थिति बिना माँ बाप की संतान जैसी है।आजादी के बाद से अब तक इन कलमकार बहादुर मां सरस्वती के इन वरद् पुत्रों की तरफ किसी भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है।आजादी के बाद सत्ता में आई तमाम दलों की सरकारों ने समाज के हर वर्ग का जीर्णोद्धार किया और आंख मूंदकर रेवडी बाँटी गयी लेकिन हमारे ग्रामीण पत्रकारों को अछूता मानकर कभी इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया।कभी सरकार ने यह नहीं सोचा कि ग्रामीण पत्रकार भी उसी समाज का अंग है जिसका प्रतिनिधित्व वह कर रहे हैं।ब्लाक तहसील स्तर पर कार्य करने वाले पत्रकारों को किस तरह कोसों सूदूर ग्रामीण अंचलों में जाकर समाचार संकलन करना पड़ता है यह कभी किसी ने नहीं सोचा है।इन ग्रामीण पत्रकारों के तमाम समाचार अखबारों की सुर्खियां बनकर जाते और अखबार की ब्रिकी को बढ़ा देते हैं।ग्रामीण पत्रकार ही एक ऐसा होता है जो आलराउन्डर पत्रकारिता करता है और सभी विषयों से जुड़े समाचारों का लेखन प्रेषण का कार्य करता है।ग्रामीण पत्रकार ही गाँव के दबे कुचले बेजुबानों की जुबान बन जाता है ।ग्रामीण पत्रकार ही समाज में हो रहे अन्याय शोषण भ्रष्टाचार उत्पीड़न का पर्दाफाश करके उसकी असली तस्वीर प्रस्तुत करता है।यहीं कारण है कि समाज का भ्रष्ट शोषक अत्याचारी वर्ग इनका दुश्मन बन जाता है।समाज का शोषण करने वाले समाजिक व सरकारी तंत्र के लुटेरे कभी कभी ग्रामीण पत्रकारों की जान के दुश्मन बन जाते हैं।खास बात तो यह है कि यह ग्रामीण पत्रकार जब मुसीबत में फंस जाते हैं तो इनके अखबार भी इनका साथ नहीं देते हैं और सरकारी तंत्र भी इन्हें अपना दुश्मन मानकर सुरक्षा देने की जगह उत्पीड़न करने वालों के साथ खड़ा हो जाता है।इन ग्रामीण पत्रकारों को न तो अखबार से कुछ मिलता और न ही सरकार की तरफ से इन्हें किसी तरह की सहायता नहीं मिल पाती है।मुसीबत आने पर न अखबार साथ देता है और न ही सरकार साथ देती है।अखबारों व सरकार की यहीं नीति ग्रामीण पत्रकारों की पत्रकारिता को बदनाम होने में सहायता प्रदान कर रही है।समाज का यह पहला वर्ग है जिसपे आजादी के बाद से अब तक किसी सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया गया है।यह कलमकार सिपाही किस तरह किन परिस्थितियों में अपने उत्तरदायित्यों का निर्वहन करते हैं कभी नहीं सोचा गया।यह कभी किसी ने नहीं सोचा कि जाड़े गर्मी बरसात में साधन विहीन यह ग्रामीण पत्रकार कैसे कार्य करते हैं।ग्रामीण पत्रकारों के हित में सत्तर के दशक से कई बार चर्चा की गयी लेकिन वह चर्चा तक ही सीमित रही और उसे मूर्ति रूप प्रदान नहीं किया जा सका।कांग्रेस ने लम्बे समय तक शासन किया और उसके बाद विभिन्न विपक्षी दलों की सरकारें बनी लेकिन किसी भी दल की सरकारों ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया और लालीपाप देते रहें।विश्वनाथ प्रताप सिंह व मुलायम सिंह सरकारों में ग्रामीण पत्रकारों को मान्यता देने की दिशा में पहल की गयी थी किन्तु उसे धरातल पर आज तक उतारा नहीं जा सका है।बसपा प्रमुख मायावती व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी समाज के सभी वर्गों को अपने कार्यकाल में ध्यान दिया लेकिन ग्रामीण पत्रकारों की तरफ गौर नहीं किया। इन ग्रामीण पत्रकारों की दशा बिन मां बाप के लावारिश बच्चे की तरह है और इनकी वकालत करने वाला कोई नहीं है।यह ऐसा कार्य होता है जिसके दायरे में गाँव के गुंडे बदमाशो प्रधान पुलिस कचहरी ठेकेदार व राजनैतिक दलों के लोग आते हैं और समय समय पर इन पत्रकारों की लेखनी से आहत होते रहते हैं।यहीं राजनैतिक दलों के लोग जब विधायक आदि बन जाते हैं तो वह इनके प्रति हमदर्दी के नहीं दुश्मनों के भाव रखने लगते हैं।सदीं परिवर्तन के साथ सत्ता व्यवस्था परिवर्तन का युग है और मोदी योगी जैसे लोग सत्ता में आये हैं जिनसे पूरे समाज व ग्रामीण पत्रकारों को बहुत उम्मीदें हैं।आज पांच जुन उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री संत शिरोमणि महाराज हिन्दू युवा वाहनी संस्थापक योगी आदित्य नाथ जी के जन्म दिवस पर पर्यावरण संरक्षण का कवरेज कर रहे ग्रामीण पत्रकार योगीजी की सरकार से अपेक्षा कर रहा है कि पुरानी सरकारों की परम्परा को छोड़कर नये युग की सरकार ग्रामीण पत्रकारों के लिये नयी परम्परा का शुरुआत कर ग्रामीण पत्रकारों के कल्याण की तरफ ध्यान देगी।