सीतापुर-अनूप पाण्डेय,नितेश बाजपेयी/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के थान गॉव में
ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) यानी ऐसी ग्राम पंचायत और गांव जहां कोई भी खुले में शौच नहीं जाता है। को समाप्त करने की दिशा में स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम पंचायतों में भारत सरकार की तरफ से घर-घर में शुलभ शौचालय बनवाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं तय मापदंड पूरे करने के बाद ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित भी किया जा रहा है। लेकिन, जिम्मेदारों की तरफ से तैयार किए गए कागजातों की अपेक्षा धरातल पर हकीकत कुछ और है। इस महत्वपूर्ण तमगे को हासिल करने की होड़ में ग्राम पंचायतों में घटिया सामग्री से शौचालयों का निर्माण करवाया गया हैं। जिससे इस गाँव के लोग आज भी खुले में जाने को मजबूर हो रहे हैं। हैरतअंगेज की बात तो यह है कि- जिस घर में शौचालय का निर्माण हुआ भी है वो मजह खानापूर्ति साबित हो रहे है शौचालय लाभार्थियों का कहना है कि-शौचालय इतने घटिया व निष्प्रयोज्य बनाये गए हैं। कि-ये शौच जाने के लायक नहीं है। ऐसा ही ताजा मामला विकास खण्ड रेउसा की ग्राम पंचायत शंकरपुर झिसनी का है।
विकास खण्ड रेउसा की ग्राम पंचायत शंकरपुर झिसनी के ग्राम प्रधान राम सुमिरन मौर्य व ग्राम विकास अधिकारी मनोज कुमार मौर्य की मिलीभगत से धन का बंदरबांट करके शौचालयों का निर्माण कराया गया है। जो शौचालय निष्प्रयोज्य होने के साथ ही जानलेवा भी साबित हो रहे हैं। जिससे ग्रामीणों ने इन शौचालयों का प्रयोग भी नहीं किया है। मानक विहीन सामग्री से जैसे तैसे तैयार किए गए शौचालयों में टैंक के नाम पर केवल गड्ढे खोदे गए हैं। बनने के कुछ ही दिन बाद दरवाजे उखड़ गए हैं,छतों ने दीवाल छोड़ दी है। जिससे ये कभी भी किसी दुर्घटना का सबब बन सकते हैं।
जिससे शंकरपुर झिसनी ग्रामसभा के लोगों ने इन शौचालयों का प्रयोग शौच के लिए न करके इनमें ईंधन, भूसा रख रहे हैं। सुबह होते ही शंकरपुर झिसनी ग्राम सभा के अधिकतर ग्रामीण खुले में शौच जाने पर मजबूर हो रहे हैंं। ग्राम प्रधान एवं पंचायत सेक्रेटरी मनोज मौर्य की मिली भगत के चलते जिस योजना में सरकार के लाखों रुपये खपाए गए है उसका नतीजा जस का तस बना हुआ