28 C
Lucknow
Tuesday, September 17, 2024

‘चाचा’ और ‘भतीजा’ दोनों तैयार, किधर जाएं जीतन राम मांझी?

पटना। सूबे में जीतन राम मांझी को लेकर राजनीति गरम है। अब भला आप सोचेंगे कि आखिर ऐसी क्या बात हो गई? दरअसल यह राजनीति है और जीतन राम पशोपेश में हैं कि आखिर किधर जाएं। राजद उनके इंतजार में बैठा है तो उधर सीएम नीतीश कुमार भी उन्हें मनाने और लुभाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

भई ये राजनीति है। यहां न तो कोई स्थायी दोस्त होता है और न ही कोई स्थायी दुश्मन। सारी चीजें निजी नफा-नुकसान के आधार पर तय की जाती हैं। जिसके समीकरण में जो फिट नजर आता है उसपर राजनीतिक दल अपना दांव लगाते हैं। चाहे वो छोटा हो या बड़ा। अब जरा ‘हम’ पार्टी के संस्थापक और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को ही लीजिए। मांझी जी के दोनों हाथ लड्डू हैं। एक तरफ सीएम नीतीश कुमार भी उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश में हैं तो वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी उनके लिए रेड कारपेट बिछा रखा है। अब तय मांझी को करना है। कहा तो यह भी जा रहा है मांझी और नीतीश कुमार के बीच मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी चर्चा हुई है जिसमें मांझी ने अपने बेटे को शामिल करने की बात कही है।

मांझी ने की सीएम से मुलाकात

अब सीएम से पिछले दिनों हुए मांझीजी के ताजा मुलाकात को ही देख लीजिए। राजनीति में एक दूसरे को मनाने और उसके गिले शिकवे दूर करने को लेकर तमाम दाव पेंच चले जाते हैं। जीतन राम मांझी सीएम से मुलाकात करने गए थे तो राजनीतिक एजेंडे के साथ, मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार ने तो उनकी राजनीतिक बातें तो सुनी ही उसके बाद उन्हें निजी उपहार भी दिया। वो उपहार भी ऐसा- वैसा नहीं। जीतन राम मांझी ने शायद उस उपहार की कल्पना भी नहीं की होगी। मुलाकात के बाद जब कुशल क्षेम का दौर हुआ तो सीएम ने उनसे उनकी निजी गाड़ी के बारे में पूछा।

सीएम ने दिया उपहार

बस क्या था शायद मांझीजी भी मानो इसी इंतजार में थे। उन्होंने झट से कहा कि यह खटारा एंबेसेडर कार कहीं भी बंद हो जाती है जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मांझीजी की इतनी बातें सुन सीएम ने झट से उन्हें बुलेट प्रूफ फॉर्च्यूनर कार गिफ्ट कर दी। बेचारे मांझीजी गए तो थे खटार कार से लेकिन लौटे ब्रैंड न्यू फॉर्च्यूनर से। इसे कहते हैं राजनीति। इसे कहते हैं कूटनीति। जब मौका देखो और वार करो जिससे सामने वाला न चाहते हुए भी बातों से इनकार न कर सके।

तेजस्वी ने भी डाले डोरे

उधर राजद नेता तेजस्वी यादव भी बेकरार हैं। जीतन राम मांझी को अपने पाले में लाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। तेजस्वी ने खुलकर कहा है कि जीतन राम मांझी के साथ काम करने में उन्हें कोई परहेज नहीं। जाहिर है यह सत्ता का खेल है। यह राजनीति की जोडतोड़ का खेल है। कुर्सी पाने के लिए कोई राजनीतिक समीकरण छूट न जाए इसका पूरा ध्यान रखा जाता है। तेजस्वी बखूबी जानते हैं कि अगले चुनाव में अगर सत्ता का स्वाद चखना है तो इसके लिए सारे समीकरण साधने होंगे।
कुनबे में सेंध लगाने की कोशिश

तेजस्वी ने एनडीए कुनबे में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की है। वो जान रहें हैं कि जो पार्टी इस गठबंधन से नाखुश है और जिसे सत्ता में भागीदारी नहीं मिली है उसे वो अपने पाले में ला सकते हैं। इसलिए उन्होंने जीतन राम मांझी पर तो दांव लगाया ही है साथ ही एनडीए के दूसरे घटक उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा पर भी पासा फेंका है। राज्य में विधानसभा के चुनाव अभी दूर हैं लेकिन जिस तरह से दोनों मुख्य विपक्षी पार्टियां दूसरे दलों को मनाने और उसे अपने पाले में लाने की बात कर रहे हैं वो निश्चित ही आने वाले चुनावों के लिए की जाने वाली उनकी तैयारियों की गंभीरता को दर्शाता है।

Latest news
- Advertisement -spot_img
Related news
- Advertisement -spot_img

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें