लखनऊ, दीपक ठाकुर – NOI । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का चारबाग रेलवे स्टेशन वैसे तो ख्याति प्राप्त स्टेशनों में से एक है वो इसलिए क्योंकि यहाँ का बाहरी रखरखाव और प्लेटफॉर्म संख्या एक को देख कर यही लगता है कि वाकई क्या बेहतरीन बंदोबस्त हैं पर इसकी सच्चाई वही जान सकता है जो इस स्टेशन के दूसरे प्लेटफॉर्म से गाड़ी पकड़ता हो। अगर आप कभी गए होंगे प्लेटफॉर्म नंबर चार, पांच या छः से तो वहां की दुर्दशा से भली भांति परिचित भी होंगे अगर आप नहीं गए हैं तो आज हम आपको बताते हैं वहां की जमीनी हकीकत। चारबाग रेलवे स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म को छोड़ कर देखा जाये तो अन्य प्लेटफार्म पर ऐसा कुछ नहीं है जिसे याद किया जा सके या ऐसा कहा जाये तो अन्य प्लेटफार्म पर यात्रियों के लिए बैठने तक तो दूर पीने के पानी की भी उचित व्यवस्था नहीं है प्लेटफॉर्म नंबर पांच और छः पर तो आप न बैठ सकते हैं न खड़े होकर ट्रैन का इंतज़ार ही कर सकते है जिसका कारन हैं वहां के मोटे मोटे चूहे और चंचल बन्दर इनका आतंक इन प्लेटफार्म पर इतना अधिक रहता है कि यात्री सुकून से वहां ठहर ही नहीं पाते और तो और यहाँ का मैनेजमेन्ट इतना घटिया है कि किसी को ये तक फुर्सत नहीं की इन कमियों को दूर करने के बारे में कोई पहल भी की जाये।
इन सब बातों को देख सुनकर यही लगता है कि रेल विभाग और ज़िम्मेदार लोग सिर्फ जनता से पैसा खीचना ही जानते हैं उनको सुविधा मोहय्या कराने की सोचते तक नहीं और सही भी है वो भला क्यों सोचे जो दिखता है सबको मतलब वी आई पी लोगों वाला प्लेटफॉर्म वो तो चमकता ही है ना । कमाल है सबसे पैसा बराबर और सुविधा देने में भेदभाव क्या यही है समानता का अधिकार । मैं तो सिर्फ इतना चाहता हूँ की कम से कम चारबाग रेलवे स्टेशन को ऐसा तो बनाओ की लोग इसकी बाहरी खूबसूरती के साथ साथ हर प्लेटफॉर्म की खूबसूरती के भी कायल हो जाएं ना की जब तक वहां रहे विभाग को कोसते रहें।
उम्मीद करता हूँ की हमारी और यात्रियों की आवाज़ को चारबाग रेलवे स्टेशन के ज़िम्मेदार अधिकारी समझेंगे और उनकी मूलभूत समस्याओं का कोई ना कोई ठोस निवारण करेंगे।