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लखनऊ – राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री अतुल मिश्रा ने मुख्य सचिव ,अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, व प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन को पत्र लिखकर संक्रमित चिकित्सा कर्मियों के अवकाश के संबंध में महानिदेशालय ,चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा जारी पत्र पर ध्यान आकर्षण करते हुए चिकित्सा कर्मियों को भी श्रम विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 28 दिनों का भुगतान युक्त अवकाश देने की मांग करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में अधिसूचना जारी की गई है यदि कोई कर्मचारी कोविड से ग्रसित हो जाता है तो उसे 28 दिन का भुगतान युक्त अवकाश प्रदान किया जाएगा, परंतु महानिदेशालय और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा उक्त शासनादेश को नजरअंदाज कर के इसके प्रतिकूल अलग आदेश जारी कर दिया गया जो कर्मचारियों के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनहीनता का एक प्रमाण है ।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा एवं प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि चिकित्सा विभाग के कर्मचारी अपनी व अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर बिना अपनी जान की परवाह किए लगातार मरीजों को चिकित्सा सुविधा दे रहे हैं, कर्मचारियों को रोस्टर से ड्यूटी भी नहीं कराई जा रही है ग्रामीण क्षेत्रों में मानव संसाधन कम है प्रदेश में अधिकांश चिकित्सकों के साथ ही नर्सेज, फार्मेसिस्ट लैब टेक्नीशियन,प्रयोगशाला सहायक,फिजियोथेरेपिस्ट, बेसिक हेल्थ वर्कर, ए एन एम, optometrist, एक्स-रे टेक्नीशियन,वार्ड ब्वाय,सफाई कर्मचारी आदि लगातार संक्रमित हो रहे हैं ऐसे में उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना सरकार एवं शासन का दायित्व है। इसी क्रम में श्रम विभाग द्वारा पूर्व में ही आदेश जारी किया गया था कि संक्रमित कर्मचारियों को 28 दिन का संगरोध अवकाश प्रदान किया जाएगा लेकिन महानिदेशालय द्वारा दिनांक 19 अप्रैल 2021 को एक पत्र जारी कर यह कहा गया कि चिकित्सकों एवं चिकित्सा कर्मचारियों को 28 दिन के स्थान पर 14 दिन का ही अवकाश दिया जाएगा, साथ ही यह भी कहा गया है कि 1 सप्ताह के बाद उन्हें पुनः rt-pcr जांच कराना होगा । प्रश्न उठता है कि क्या संक्रमित कर्मचारी सातवें दिन अपना संगरोध तोड़कर जांच हेतु जांच केंद्र जाएगा ?
यदि जांच केंद्र जाकर अन्य लोगों को भी संक्रमित करता है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ?
वही यह भी कहा गया है कि यदि किसी कर्मचारी के घर में परिवार के अन्य लोग संक्रमित हैं तो उन्हें लगातार ड्यूटी करनी होगी जबकि प्रोटोकॉल के अनुसार घर में ज्यादा लोगो के संक्रमण होने पर उसे भी संगरोध होना पड़ सकता है ।
इसी के साथ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने एक पत्र जारी किया है कि मेडिकल कॉलेज के कर्मी अपनी जांच स्वयं ना कराकर विभागाध्यक्ष के माध्यम से कराएंगे। चिकित्सा कर्मचारियों को 3 दिन लक्षण विहीन होने अथवा प्रथम लक्षण के 10 दिन बाद rt-pcr धनात्मक होने के बाद भी ड्यूटी पर आने को कहा गया है जो संक्रमण को बढ़ाने वाला हो सकता है।
उक्त दोनों पत्रों से ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार चिकित्सा कर्मियों से काम तो लेना चाहते हैं लेकिन उनके स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है।यही कारण है कि वर्तमान में अधिकांश चिकिसक व कर्मचारी कोविड पोसिटिव हो रहे हैं और उसके बाद गम्भीर होने के उपरांत उन्ही को चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं हो रही है। जिससे कई दिवंगत भी हो गए,परन्तु सरकार व शासन द्वारा कई बार अनुरोध के उपरांत भी कर्मचारी की कोविड ड्यूटी में उत्तपन्न हो रही समस्याओं जैसे संक्रमित होने पर बेड की समस्या, सुरक्षा उपकरण,क्वारन्टीन हेतु होटल,खान पान व्यवस्था आदि पर कोई सकारात्मक पहल नही की गई बसर्ते नकारात्मक आदेश निर्गत हो रहे हैं। इससे निश्चित ही कर्मचारियों का मनोबल टूटेगा,जिसका दुष्परिणाम भी शीघ्र परिलिक्षित होगा ।
परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने मा मुख्यमंत्री जी से अपील की व मुख्य सचिव को पत्र लिखकर चिकित्सा कर्मचारियों को भी श्रम विभाग के नियमों के अनुसार 28 दिन का अवकाश दिए जाने की मांग की है, इसके साथ ही भारत सरकार द्वारा चिकित्सा कर्मियों की कोविड-19 संक्रमण से मृत्यु पर परिजनों को दिया जाने वाला नवीनीकृत बीमा राशि को राज्य में भी लागू करने की मांग की है । इसके साथ चिकित्सा कर्मचारियों की ड्यूटी रोस्टर से लगाए जाने हेतु निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है, जैसा कि पूर्व में 14 दिन ड्यूटी करने के बाद 7 दिन का संगरोध अवकाश दिया जाता रहा है । परिषद का कहना है कि उक्त अवकाश से कर्मचारी अपने आपको कार्य के लिए तैयार कर लेता है, साथ ही उनका स्वास्थ्य भी सुरक्षित होता है ।
(अतुल मिश्रा)
महामंत्री