लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुर बदलते सुनाई पड़ रहे हैं. उन्होंने शनिवार को कहा कि वह केंद्र में भाजपा नीत सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस संग काम करने के खिलाफ नहीं हैं. तृणमूल सुप्रीमो ने एक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा कि उनके यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से अच्छे संबंध हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ कभी काम नहीं किया.
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं, उन्होंने कहा कि ऐसी कोई मंशा नहीं है. हालांकि, इस पद की दौड़ से बाहर करने के सवाल पर वह स्पष्ट जवाब नहीं दे पाईं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए तैयारी करने की जगह हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियां कांग्रेस का समर्थन नहीं करती हैं क्योंकि उनकी अपनी क्षेत्रीय मजबूरियां हैं. इसके साथ ही आह्वान किया कि अगर कांग्रेस मजबूत है और कुछ स्थानों पर अधिक सीट पाती है तो उसे अगुवाई करने दें.
भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतारने से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं वह बात नहीं कह रही हूं. अगर ऐसा किया गया तो खेल खत्म हो जाएगा. अगर बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में साथ मिलकर काम करते हैं , तो खेल खत्म हो जाएगा. तब चुनाव के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया जा सकता है. यह बड़ा परिवार है. इसलिए सामूहिक फैसले होने चाहिए. बताते चलें कि एक वक्त वह भी था जब ममता बनर्जी बंगाल में भाजपा के साथ ही कांग्रेस की भी धुर विरोधी बनकर उभरी थीं.