Patna : बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा 2017 की करीब 2500 कॉपियां अभी जांची नहीं जा सकी हैं। क्योंकि इन पर बार कोडिंग नहीं की गई थी। इस वजह से इनकी पहचान नहीं हो पाई और उत्तर पुस्तिकाएं बोर्ड के स्टोर रूम में रखी हुई हैं।
ऐसे में इन छात्र-छात्राओं का रिजल्ट पेंडिंग रह गया।यहां हुई लापरवाही : बोर्ड ने मैट्रिक की उत्तरपुस्तिकाओं में बार कोडिंग का प्रावधान लागू किया था। परीक्षा के बाद मूल्यांकन केंद्रों पर बड़ी गड़बड़ी हो गई।
रोल नंबर के अनुसार बार कोडिंग करने से पहले ही कॉपियों से उसके रोल नंबर वाले हिस्से फाड़ लिये गए। अब लिखावट से भी इनकी पहचान संभव नहीं है।
दौड़ रहे परीक्षार्थी : पेंडिंग रिजल्ट वाले 2632 छात्र रोज बोर्ड ऑफिस आ रहे हैं, पर इनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ। ऐसे में सवाल यह है कि ये कॉपियां उन्हीं छात्रों की तो नहीं जिनके रिजल्ट पेंडिंग हैं।
कॉपी गणित की, कोड सामाजिक विज्ञान का : मैट्रिक 2017 की कॉपियों पर गलत बार कोड डालने का भी मामला है। कई विषयों की कॉपियों पर बार कोड में गड़बड़ी हुई है। गणित की कॉपी पर सामाजिक विज्ञान का बार कोड चिपका दिया गया है। बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने बताया कि अभी उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है।
आरटीआई के तहत 900 से अधिक आवेदन
इंटर व मैट्रिक के सैकड़ों परीक्षार्थी अपने अंक से असंतुष्ट हैं। पहले रिजल्ट और फिर स्क्रूटिनी में अंक नहीं बढ़ने के बाद अब परीक्षार्थी अपनी उत्तरपुस्तिका खुद देखना चाहते हैं। इसके लिये अभी तक इंटर-मैट्रिक के नौ सौ से अधिक परीक्षार्थियो ने सूचना के अधिकार के तहत अपनी उत्तरपुस्तिका समिति से मांगी है। लेकिन समिति ने अभी तक किसी को भी उत्तर पुस्तिका नहीं दी है। आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय ने बताया कि कई छात्र बोर्ड से उत्तरपुस्तिका नहीं मिलने के कारण राज्य सूचना आयोग पहुंच रहे हैं।
ऐसे की गई लापरवाही
• जिन्हें बार कोड करने के लिये रखा गया था, उन्हें ट्रेनिंग नहीं दी गयी
• विषयवार बार कोड की जानकारी नहीं थी
• एक विषय की बार कोडिंग होने के बाद ही दूसरे विषय की करनी थी, लेकिन इसमें लापरवाही हुई
• परीक्षा समाप्त होने के तुरंत बाद बार कोडिंग नहीं की गई
2017 की उत्तरपुस्तिकाओं में कई गड़बड़ियां हुई हैं। कई उत्तरपुस्तिका की तो जांच भी नहीं हुई है। समिति छात्रों को उत्तरपुस्तिका नहीं दे रही है। कई टॉपर छात्र अपनी उत्तरपुस्तिका पर अधिक अंक होने का दावा भी कर रहे हैं। प्रियंका सिंह का केस इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। सैकड़ों परीक्षार्थी हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।