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Monday, September 9, 2024

जंगल से सटे गांवों में बाघों की दहशत, लोगों का निकलना हुआ मुश्किल।

शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- बीती सोमवार को बाघ हमले में 55 वर्षीय रामप्रसाद के घायल हो जाने के बाद जंगल से सटे गांवों में एक बार फिर से दहशत फैल गई। बाग के डर से लोग का खेतों में जाना और मवेशी चराना भी मुश्किल हो रहा है। गन्ने की फसल बाघो के छिपने लायक हो गई है। जिससे जंगल की गर्मी से बिलबिलाए वन्य जीवो ने गन्ने के खेत में अपना बसेरा बना लिया है। इसके चलते ग्रामीणों के लिए खतरा पैदा हो गया है। जंगल से सटे इलाकों में अधिकतर बाघ की घटना तब तक होती हैं। जब तक कि गन्ने की फसल कट नही जाती है। इन दोनों कड़ी धूप और गर्मी की वजह से घास सूख चुकी है। जंगल के तालाब आदि भी सूखे पड़े है। जिसके चलते वन्य जीव जंगल से बाहर निकलने को मजबूर है।

*शिकार की तलाश में बाघ:-*

हिरण आदि शाकाहारी पशुओं को गन्ने की मुलायम कोपल के रूप में खेतों में अच्छा भोजन मिल जाता है। इसके चलते हिरण आदि खेतों में आ जाते है। इन्ही जानवरों के पीछे बाघ भी खेतों और जंगलों के बाहरी इलाके में उगी झाड़ियों में अपना बसेरा बना लेते है। दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन के दक्षिण निघासन रेज के सेहतपुरवा गांव में बाघ ने 13 अप्रैल को कामता नामक ग्रामीण को अपना निवाला बनाया था। इस से गुस्साए ग्रामीणों ने बाघ को पीट-पीटकर आमरण अनशन अवस्था में पहुंचा दिया था। हालांकि लखनऊ चिड़ियाघर में सघन इलाज के बाद बाघिन स्वस्थ हो गई है। इसके बाद भी निघासन इलाके में इन दिनों बाघ की दहशत बनी हुई है। मालूम हो कि निघासन क्षेत्र में बाघों का आतंक एक लंबे अरसे बाद शुरू हुआ है। बांकेगंज ब्लाक क्षेत्र में 80 फसीद गांव जंगल से सटे हैं। यहां के लोग हमेशा से ही बाघो के दशक में रहते हैं। पिछले 2 साल के अंदर बाघ 12 लोगों को अपना निवाला बना चुके हैं। करीब 30 से अधिक लोगों पर हमला कर घायल कर चुके हैं। पिछले 6 महीने के अंदर इस क्षेत्र में बाघ का तीसरा हमला है। इसमें एक रिटायर्ड रेलकर्मी को भी अपना शिकार बना चुका है।

*वहां न चराएं मवेशी:-*

उप-निदेशक दुधवा डायरेक्ट दुधवा टाइगर रिजर्व बफर जोन/प्रभारी डीडी दुधवा पार्क डॉ अनिल कुमार पटेल ने बताया कि जिस इलाके में बाघ का हमला हुआ है। वह बाघ बाहुल्य क्षेत्र है। ग्रामीणों को जंगल या जंगल से सटे इलाके में मवेशी चराने के लिए नहीं ले जाना चाहिए। खेत में जाते समय पूरी सतर्कता बरतें। बाघ के दिखाई पड़ते ही वन विभाग को सूचना करें। ताकि समय रहते जरूरी कदम उठाया जा सके।

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