लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोगों को गुणवत्तापरक चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार कार्य योजना बनाकर काम कर रही है। जनजागरण और जनसहभागिता के माध्यम से जनस्वास्थ्य की गंभीर चुनौतियों पर विजय प्राप्त की सकती है।
उन्होंने कहा, “दिमागी बुखार सबसे अधिक नवजात शिशुओं से लेकर 15 वर्ष के बच्चों को प्रभावित करता है। इन्हें बेहतर स्वास्थ्य देना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है, जिससे ये बच्चे आने वाले कल के लिए देश व प्रदेश के विकास में सहभागी बन सकें।”
मुख्यमंत्री सोमवार को यहां यूनीसेफ और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से संचालित होने वाले ‘दस्तक’ जेई/एईएस संचार अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने संचार सामग्री, स्वच्छता किट व डॉक्यूमेंट्री फिल्म की सीडी का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जापानी बुखार के खिलाफ हौव्वा खड़ा करने बजाय अगर जागरूकता फैलाई जाए, तो इससे लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि जेई और एईएस वेक्टर जनित रोग हैं, इसलिए इनकी रोकथाम के लिए प्रभावित जनपदों में टीकाकरण के साथ-साथ गांवों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाने के अतिरिक्त इसके विरुद्ध लोगों को जागरूक कर अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार की भी आवश्यकता है। इस कार्य के लिए शिक्षण संस्थान व स्वयंसेवी संस्थाओं को भी इससे जोड़े जाने की जरूरत है। स्कूली बच्चों को रोग से बचाव व नियंत्रण के विषय में बताया जाए।
योगी ने कहा कि कुपोषण भी इस बीमारी का एक कारण है। इसलिए गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों को पुष्टाहार व जरूरी दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार कार्य कर रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से बच्चों एवं महिलाओं को इन रोगों के संबंध में जागरूक किया जाए तथा उनके पोषण की भी समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
योगी ने कहा कि दिमागी बुखार से बचने के लिए पूरी तैयारी समयबद्ध ढंग से कर ली जाए। वैक्सीनेशन का कार्य मार्च-अप्रैल-2018 तक अवश्य पूरा कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 38 जनपद एक्यूट इंसेफेलाइटिस (एईएस) व जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। एईएस, जेई सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग को नोडल विभाग बनाकर नगर विकास, पंचायती राज, महिला एवं बाल विकास, ग्राम्य विकास, चिकित्सा शिक्षा, बेसिक व माध्यमिक शिक्षा, पशुधन एवं अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करके ही इस रोग पर नियंत्रण प्राप्त किया जा सकता है।
वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों से ही प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा सका है। इसके ²ष्टिगत 617 गांवां में सघन टीकाकरण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने कहा, “इंसेफेलाइटिस के उपचार में बचाव का सबसे अधिक महत्व है। यदि हम स्वच्छता को अपना लें तो यह बीमारी स्वत: ही समाप्त हो सकती है।”
इस अवसर पर ग्राम्य विकास राज्यमंत्री डॉ. महेंद्र सिंह, प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रशांत त्रिवेदी, यूनिसेफ की प्रदेश प्रमुख रूथ एल लियानो सहित चिकित्सा विभाग अधिकारी के मौजूद थे।