चीन और भारत की सीमा पर स्थित अरुणाचल के तवांग में अपना दौरा समेटते हुए दलाई लामा इस वादे के साथ वापस लौट गए कि वे कालचक्र के लिए अगले वर्ष के जनवरी माह में फिर आएंगे। इस मौके पर राज्य के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने उन्हें निमंत्रित किया है।
कालचक्र प्रथा गत वर्ष बोधगया में आयोजित हुई थी। यह प्रथा तिब्बती बौद्ध धर्म में एक जटिल शिक्षण और अभ्यास है जिसे दुनिया में सभी बौद्ध शिक्षाओं का अवतार माना जाता है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, ‘मुख्यमंत्री ने 14वें दलाई लामा को कालचक्र के लिए यहां आमंत्रित किया है जो छठे दलाई लामा का जन्मस्थल है।‘
राज्य में अपने धार्मिक प्रवास के दौरान, उन्होंने न केवल चीन के आरोपों को खारिज किया बल्कि बीजिंग के 15वें दलाई लामा के रूप में अपने पुनर्जन्म की बात को ‘बकवास’ बताया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि दलाई लामा की संस्था की प्रासंगिकता की समीक्षा की जाएगी और तिब्बत के लोग इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। उन्होंने बीजिंग से हरी झंडी मिलने के बाद अपने मातृभूमि लौटने की भी इच्छा व्यक्त की।
तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ने तवांग में चार रात बिताया जहां उन्होंने 1959 में तिब्बत से आकर शरण लिया था।