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Wednesday, February 12, 2025

जब भिक्षुक बनकर देवराज इंद्र ने कर्ण से कवच, कुंडल मागे

सीतापुर-अनूप पाण्डेय,रियासत अली सिद्दीकी/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के रामकोट/ तालगांव क्षेत्र के टकेली में हो रहे रुद्र यज्ञ एवं संत सम्मेलन के क्रम में कथा वाचक प्रवीण कुमार दीक्षित ने बताया कुंती पुत्र दानवीर कर्ण महान योद्धा एवम दानी थे। महा भारत के युद्ध मे देव राज इंद्र ने बिचार किया कि जब तक कर्ण के पास सूर्य द्वारा प्रदत्त कवच और कुंडल रहेंगे तब तक अर्जुन कर्ण से जीत नही सकेगा। एकबार कर्ण सूर्य देव की पूजा कर रहा था उसी समय देव राज इंद्र भिक्षुक का भेष बनाकर कर्ण के पास आये और उनका कवच, कुंडल दान में मांग लिया। देवताओं के द्वारा छल किये जाने की सूचना होने पर भी कर्ण ने कहा दान में मेरा शरीर भी मांगते तो मैं दे दूंगा।

इस पर देवराज इंद्र प्रसन्न होकर वरदान मांगने के लिए कर्ण से कहा तो कर्ण ने उत्तर दिया दान देने के बाद लेने वाले से क्या मांगू।इस पर इंद्र प्रसन्न होकर एक बार प्रयोग होने वाला अस्त्र दिया।

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