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Friday, December 13, 2024

‘जल्लीकट्टू’ पर से प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर PM मोदी से आज मिलूंगा : मुख्यमंत्री पन्नीरसेलवम |

चेन्नई, एजेंसी | सांड़ों की लड़ाई के खेल ‘जल्लीकट्टू’ पर प्रतिबंध हटाने की मांग समूचे तमिलनाडु में जोर पकड़ने के बीच आज यहां मरीना बीच पर हजारों छात्र जमा हुए। सड़कों पर रोष बढ़ने के मद्देनजर मुख्यमंत्री पन्नीरसेलवम ने फौरन एक अध्यादेश लाने की मांग करते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का फैसला किया है। अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला ने आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा कि इसे हटाने के लिए विधानसभा के अगले सत्र में एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘गुरुवार सुबह मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलूंगा और उनसे जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने के लिए एक अध्यादेश लाने का अनुरोध करूंगा। इसलिए, मैं सभी प्रदर्शनकारियों से अपना आंदोलन रोकने की अपील करता हूं।’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर लोगों के साथ है। मुख्यमंत्री के साथ अन्नाद्रमुक के 49 सांसद भी होंगे। प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भी मिलेगा।

अन्नाद्रमुक महासचिव वीके शशिकला ने आंदोलन को अपना समर्थन दिया और कहा कि विधानसभा के अगले सत्र में जल्लीकट्टू पर से प्रतिबंध हटाने के लिये एक प्रस्ताव पारित किया जायेगा। उन्होंने छात्रों से अपना प्रदर्शन बंद करने की अपील की है। वहीं, जल्लीकट्टू के लिए इजाजत मांगने वालों में आईटी क्षेत्र के कर्मचारी तथा कई और फिल्मी कलाकार भी शामिल हो गए हैं।

इस बीच, नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र की जनवरी 2016 की अधिसूचना ने जंतु देखभाल की चिंताओं से सामंजस्य बिठाते हुए इस पारंपरिक खेल की इजाजत दी थी। यह फिलहाल कानूनी पड़ताल के दायरे में है और अनुकूल फैसला आएगा। जावड़ेकर ने कहा, ‘जहां तक जल्लीकट्टू का मामला है, जब मैं पर्यावरण मंत्री था तब हमने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने रद्द नहीं किया है। लेकिन अधिसूचना को लागू किए जाने को रोक दिया गया। पर, मैं आश्वस्त हूं कि अधिसूचना अपने निपटारे के दौरान कानूनी पड़ताल में खरा उतरेगी।’ 

ऐसा प्रतीत होता है कि इस आंदोलन का केंद्र अब राज्य की राजधानी में बन गया है। हजारों छात्र और युवक मरीना बीच पर एकत्र हुए। वे इस खेल पर प्रतिबंध हटाने की मांग करते हुए कह रहे हैं कि यह तमिल संस्कृति का प्रतीक है और प्रतिबंध एक तमिल विरोधी मानसिकता को जाहिर करता है। मदुरै, शिवगंगा और पट्टुकोई से जल्लीकट्टू के प्रतीकात्मक आयोजन की खबरें हैं। वहां सांड़ों को खुला छोड़ दिया गया। जल्लीकट्टू के पारंपरिक स्थल मदुरै के अलनंगनल्लूर और तमुक्कम में लोगों का उमड़ना जारी है। अलंगनल्लूर में प्रदर्शनकारियों ने यह मांग की कि केंद्र आज शाम छह बजे से पहले जल्लीकट्टू की इजाजत के लिए अध्यादेश जारी करे।

जंतु अधिकार संगठन पेटा को प्रदर्शनकारियों ने अपने हमले का निशाना बनाया। दरअसल, पेटा ने इस खेल के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। यहां और मदुरै में छात्रों, तमिल समर्थक संगठनों के स्वयंसेवी समूहों, किसानों की भीड़ का आयोजन स्थल पर उमड़ना जारी है। तामुक्कम मैदान में तनाव मौजूद है क्योंकि तीन छात्रों ने खुद को आग के हवाले करने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया।

आईटी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी भी आज प्रदर्शन में शामिल हो गए। उन्होंने मानव श्रृंखला बनाई और राजीव गांधी सलाय पर शहर के आईटी कॉरीडोर सहित अपने कार्य स्थल के आसपास प्रदर्शन किया। एक तमिल समर्थक संगठन के सात कार्यकर्ता रामेश्वरम में ऐतिहासिक पंबन रेल पुल पर चढ़ गए और धरना दिया। पुलिस ने जब उन्हें हटाया तब उन्होंने गिरफ्तार किए जाने की सूरत में समुद्र में कूदने और आत्महत्या करने की धमकी दी।

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