नई दिल्ली| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शनिवार को आरोप लगाया है कि विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक के संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) की ओर से राजीव गांधी फाउंडेशन को दिया गया 50 लाख रुपये का चंदा रिश्वत था, जिस पर कांग्रेस ने भाजपा को झूठा करार दिया। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोनिया गांधी खुद राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं और उनके फाउंडेशन ने आईआरएफ से चंदा लिया था।
कांग्रेस ने जब खुलासा किया कि फाउंडेशन ने आईआरएफ को यह राशि लौटा दी थी तो प्रसाद ने कहा कि राशि 2012 में क्यों नहीं लौटाई गई, जब देश की सुरक्षा एजेंसियों ने नाईक के टीवी चैनल ‘पीस टीवी’ के खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट दी थी।
कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ‘शैतानीपूर्ण और खास तरह के समाचारों’ के जरिए झूठ फैला रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि चंदा राजीव गांधी फाउंडेशन को नहीं बल्कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) को दिया गया था।
सुरजेवाला ने कहा, “ट्रस्ट को यह चंदा कानून के तहत ही मिला था और ट्रस्ट ने आईआरएफ और नाईक को लेकर उठे विवाद को देखते हुए यह चंदा वापस भी कर दिया था।”
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर झूठ फैलाने का लगाया आरोप
सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर झूठ को बार-बार फैलाकर उसे सच बनाने का शैतानीपूर्ण एजेंडा चलाने का आरोप लगाया।
सुरजेवाला ने कहा, “आरजीसीटी को आईआरएफ से 2011 में चेक के जरिए 50 लाख रुपये का चंदा मिला था। लेकिन इसी वर्ष जुलाई में नाईक और उनकी संस्था के विवाद में घिरने के बाद आरजीसीटी ने यह राशि आरआईएफ को लौटा दी। इसके अलावा आरजीसीटी ने भविष्य में भी आईआरएफ से किसी तरह का संबंध न रखने का फैसला भी किया।”
इस बीच नाईक ने शनिवार को अपने खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को भारतीय मुस्लिमों पर हमला और ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया। नाईक के संगठन आईआरएफ पर प्रतिबंध लगने की संभवानाओं के बीच नाईक ने चेतावनी दी है कि आईआरएफ पर प्रतिबंध भारतीय मुसलमानों के खिलाफ ‘अन्याय’ होगा।
सरकार व देशवासियों को लिखे एक खुले पत्र में नाईक ने कहा है कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया, जिससे उन्हें देश के दुश्मन के रूप में पेश किया जाए और उनकी अनुपस्थिति के कारण ही आईआरएफ पर प्रतिबंध की मांग की जा रही है।
उन्होंने कहा है, “यदि आईआरएफ और मुझपर प्रतिबंध लगाया गया, तो यह आज की तारीख में देश के लोकतंत्र के लिए बड़ा झटका होगा।”
नाईक ने सरकार से अपने संगठन के खिलाफ चल रही जांच मे निष्पक्षता और तथ्यों के प्रति ईमानदारी बरते जाने का आग्रह भी किया। नाईक ने कहा कि वह 25 वर्षो से शांति के प्रसार और इस्लाम के प्रति जागरूकता फैलाने में लगे हुए हैं तथा पिछले दो महीने में घटी घटनाओं से हैरान हैं।