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Monday, January 20, 2025

जातीय समीकरण में फंसी फूलपुर सीट, बीजेपी, कांग्रेस व सपा-बसपा गठबंधन को मिल सकता है इन जातियों का साथ

वाराणसी. फूलपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनाव में एक बार फिर जातीय समीकरण भारी पड़ता दिख रहा है। सपा, कांग्रेस व बीजेपी ने एक-दूसरे के वोट में सेंधमारी करने के लिए खास नेताओं को सक्रिय कर दिया है। बीजेपी को विश्वास है कि वर्ष 2014 की तरह उसे सभी जातियों के वोट मिलेंगे। सपा व बसपा गठबंधन के चलते यहां पर नया जातीय समीकरण बन गया है जबकि कांग्रेस को भी अपने प्रत्याशी संग खास जाति के वोटों पर पूरा भरोसा है।
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गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी की लहर में बीजेपी ने पहली बार फूलपुर संसदीय सीट जीती थी यहां पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य लगभ पांच लाख वोटों से चुनाव जीते थे। उस समय सपा व बसपा को मिला दिया जाये तो बीजेपी को इससे अधिक वोट मिले थे। इस बार की स्थिति थोड़ी अलग है। इस सीट पर पीएम मोदी चुनाव प्रचार करने नहीं जा रहे हैं जबकि नोटबंदी, जीएसटी एवं अन्य मुद्दों को लेकर जनता की नाराजगी सामने आ सकती है ऐसे में जिस दल का प्रत्याशी जातीय समीकरण को साध पायेगा। वही चुनाव जीतेगा।
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जानिए किस दल के साथ जा सकता है जातीय समीकरण
कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाया है। फूलपुर में ब्राह्मण वोटरों की संख्या एक लाख से अधिक है। मुस्लिम वोटरों को साधने में नसीमुद्दीन सिद्दीकी बहुत काम आ सकते हैं। ब्राह्मण व मुस्लिम वोटरों के साथ अन्य जाति के थोड़े वोट भी कांग्रेस को मिल जाते हैं तो जीत की राह आसान हो सकती है। सपा को मायावती की पार्टी बसपा के समर्थन का फायदा मिलता दिख रहा है। सपा के यादव व बसपा के दलित वोटरों की संख्या दो लाख से अधिक है। अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने पटेल प्रत्याशी उतारा है जिसके चलते बीजेपी व अपना दल के परम्परागत पटेल वोटर में सेंधमारी हो गयी है। इसके अतिरिक्त मुस्लिम मतदाता गठबंधन के पक्ष में आ जाते हैं तो सपा को रोकना किसी दल के लिए कठिन हो जायेगा। बीजेपी ने भी पटेल प्रत्याशी उतारा है। सपा व बीजेपी प्रत्याशी के बीच में पटेल वोटरों के बंटने का अनुमान लगाया जा रहा है जो अधिक वोट पायेगा। वह फायदे में रहेगा। क्षत्रिय वोटरों की संख्या भी लाखों में है और सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कराने के लिए राजा भैया की सेना भी उतर चुकी है, ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी के साथ क्षत्रिय वोटर आ सकता है। मौर्या वोटर भी डिप्टी सीएम का साथ देते दिख रहे हैं जिनकी संख्या भी लाखों में है। बीजेपी को क्षत्रिय, मौया, पटेल के साथ अन्य जाति के थोड़े भी वोट मिलते हैं तो भगवा पार्टी दूसरी बार इस सीट पर कब्जा जमा सकती है।
-बीजेपी से बदला लेने के लिए इस दल ने दिया सपा व बसपा को समर्थन ,नये सियासी समीकरण का हुआ जन्म

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