शरद मिश्रा”शरद”
लखीमपुर खीरी:NOI- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित है। यह संरक्षित क्षेत्र भारत और नेपाल की सीमाओं से लगा विशाल वन क्षेत्र में फैला हुआ है। यह उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा एवं समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है। यह राष्ट्रीय उद्यान बाघों एंव बारहसिंगा के लिए विश्व प्रसिद्ध माना जाता है।
दुधवा नेशनल पार्क कैसे पहुंचे
दुधवा नेशनल पार्क की दूरी दिल्ली से पूर्व दिशा में लगभग 430 कि०मी०, एंव लखनऊ से उत्तर पश्चिम की तरफ़ 230 कि०मी० है। दिल्ली से दुधवा आने के लिए गाजियाबाद, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, खुटार, मैलानी, गोला होते हुए पलिया पहुंचा जा सकता है, जहां से दुधवा मात्र 10 कि०मी० की दूरी पर स्थित है।
लखनऊ से दुधवा आने के लिए सिधौली, सीतापुर, हरगांव, लखीमपुर, भीरा, से पलिया होते हुए दुधवा नेशनल पार्क पहुंच सकते हैं। दुधवा नेशनल पार्क के समीपस्थ रेलवे स्टेशन दुधवा, पलिया और मैलानी है। यहां
आने के लिए दिल्ली, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर तक ट्रेन द्वारा और इसके बाद 107 कि०मी० सड़क यात्रा करनी पड़ती है, जबकि लखनऊ से भी पलिया-दुधवा के लिए ट्रेन मार्ग है।
सड़क मार्ग से दिल्ली-मुराबाद-बरेली-पीलीभत अथवा शाहजहांपुर, खुटार, मैलानी, भीरा, पलिया होकर दुधवा पहुंचा जा सकता है। लखीमपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ, बरेली, दिल्ली आदि से पलिया के लिए रोडवेज की बसें एवं पलिया से दुधवा के लिए निजी बस सेवा उपलब्ध हैं। लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर, गोला, मैलानी, से पलिया होकर दुधवा पहुंचा जा सकता है।
दुधवा नेशनल पार्क की जलवायु और भौगोलिक स्थिति
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में औसतन वर्षा- 1500 मी.मी. रिकार्ड की जाती है। दुधवा नेशनल पार्क की समुन्द्र तल से ऊंचाई- 150-182 मीटर उंचाई पर स्थित है। नवंबर से फरवरी तक यहां का अधिकतम तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम 4 से 8 डिग्री सेल्सियस रहने से प्रात: कोहरा और रातें ठंडी होती हैं। मार्च से मई तक तापमान अधिकतम 30 से 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 से 25 डिग्री सेल्सियस मौसम सुहावना रहता है। जून से अक्टूबर में अधिकतम तापमान 35 से 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 से 25 डिग्री सेल्सियस रहने से भारी वर्षा और जलवायु नम रहती है।
थारू हट की भी है व्यवस्था
पर्यटकों के रूकने के लिए दुधवा में आधुनिक शैली में थारू हट की व्यवस्था भी उपलब्ध हैं। रेस्ट हाउस, प्राचीन इण्डों, ब्रिटिश शैली की इमारते पर्यटकों को इस घने जंगल में आवास प्रदान करती है, जिससे प्रकृति दर्शन का लोंगो के प्रति रोमांच दोगुना हो जाता हैं।