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Friday, November 8, 2024

जानें, कानपुर कैसे बना ट्रेन एक्सीडेंट जोन

 

कानपूर, NOI । कानपुर से अलग-अलग दिशाओं को जाने वाली रेल लाइनों पर 30 से 35 किलोमीटर का रेलमार्ग ट्रेन दुर्घटनाओं का क्षेत्र बन चुका है। 20 नवंबर को पुखरायां के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस डिरेलमेंट में 152 की मौत हुई थी और 300 से अधिक घायल हुए थे। 28 दिसंबर को रूरा में सियलदाह-अजमेर के पटरी से उतरने से 68 यात्री घायल हुए थे। 31 दिसंबर की रात को मंधना के पास रेल पटरी काटी गई और 50 पैंड्राल क्लिप निकाल दी गईं थीं। अब गुरुवार शाम करीब साढ़े पांच बजे कानपुर-लखनऊ के बीच शुक्लागंज स्टेशन के पास मालगाड़ी पलट गई। यह सभी हादसे कानपुर से 30 से 35 किलोमीटर के दायरे में हुए हैं। पिछले डेढ़ महीने में यह तीसरा रेल हादसा है। गनीमत है कि मालगाड़ी पलटी वरना जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता था।

साजिश से इनकार नहीं

मंधना में पटरी काटने का साजिश का खुलासा होेने के बाद कानपुर को निशाना बनाने में आतंकी गतिविधियों पर शक गहरा गया है। यही वजह है कि आरपीएफ ने 31 दिसंबर की आधी रात को पटरी काटने की घटना को अंजाम देने के लिए सीबीआई जांच की मांग की है। यह घटना फर्रुखाबाद पैसेंजर को पलटाने की साजिश थी।

चौथी रेल लाइन पर हुआ हादसा

रेलवे के अलग अलग जोन और मंडलों में रेल हादसे होना भी कई सवाल खड़े करता है। पुखरायां में इंदौर-पटना हादसा कानपुर झांसी लाइन (एनसीआर जोन का झांसी मंडल) पर हुआ। रूरा में सियालदह-अजमेर दुर्घटना (एनसीआर जोन का इलाहाबाद मंडल) में हुई। मंधना में पटरी काटने की साजिश (पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल) रची गई। जबकि शुक्लागंज के आगे मालगाड़ी पलटने की घटना (उत्तर रेलवे का लखनऊ मंडल) में हुई।

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