जालसाजी कर कानपुर से आर्म्स खरीदकर नक्सलियों को बेचने वाला बिहार से गिरफ्तार-जनपद के आर्म्स दुकानारों से मिलीभगत कर फर्जी ट्रांजिट लाइसेंस दस्तावेजों पर चल रहा था खेल
कानपुर : (मो0महमूद) NOI:-उत्तर प्रदेश की एंटी टेरेरिस्ट स्क्वायड (एटीएस) व बिहार की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को बीती रात बड़ी सफलता हाथ लगी है। संयुक्त टीमों ने आपरेशन के तहत बिहार के एक ऐसे शख्स को पकड़ा है जो नक्सलियों को आर्म्स सप्लाई करता है। पकड़ गये शख्स से कानपुर में जालसाजी कर शस्त्रों की खरीद-फिरोख्त को बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों द्वारा अभियुक्त की गिफ्तारी से जनपद के आर्म्स दुकानदारों में भय की स्थिति बन गई है।
यूपी एटीएस व बिहार एसटीएफ की संयुक्त टीमों ने बिहार के मुंगेर जनपद के पोलो मैदान से उपेंद्र सिंह नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है। पकड़े गये शख्स पर आरोप है कि यहां छह माह पूर्व कूट रचित योजना के तहत जाली शस्त्र लाइसेंस पर हथियार खरीदने में अहम भूमिका है। उपेंद्र पर फर्जी लाइसेंस पर कानपुर से कई शस्त्रों को खरीदा गया और बिहार में नक्सलियों को बेचने का आरोप है। आईजी एटीएस असीम अरुण ने बताया कि पकड़े गये आरोपी उपेंद्र ने कानपुर से हथियार खरीदना स्वीकार किया है। उसने पूछताछ में बताया कि साथी राज किशोर राय और कानपुर के शस्त्र विक्रेताओं की मिलीभगत से उसने कई हथियार फर्जी लाइसेंस के जरिये खरीदे और बिहार में आपूर्ति किए हैं। शस्त्र फर्जी लाइसेंस पर खरीदे गए हथियारों को अपराधियों या नक्सलियों को बेचा जाता था। उपेन्द्र के पकड़े जाने की जानकारी मिलने पर जिले के आर्म्स दुकानदारों में खौफ मंडराने लगा है। यहां पर उसके दर्जनों आर्म्स दुकानदारों से मेलजोल और उठना बैठना था। यहीं नहीं उनसे आर्म्स की खरीद-फिरोख्त भी होती थी। ऐसे में उसके पकड़े जाने से आर्म्स दुकानदारों में जांच के दौरान फसने का डर सताने लगा है।
ट्रांजिट लाइसेंस के जरिये होता था खेल
पकड़े गये हथियार सप्लायर उपेंद्र और राजकिशोर शस्त्र विक्रेताओं की मदद से फर्जी कागजात के जरिये बिना ट्रांजिट लाइसेंस (टीएल) के शस्त्र बेचते थे। यहां तक कि असलहा खरीदने वाले की आईडी तक नहीं ली जाती थी। इसमें फर्जी आईडी लगाकर अधिकार पत्र तक तैयार कर बड़ा खेल किया जाता था। कानपुर में आने पर यह लोग मूलगंज इलाके में स्थित होटलों में रूकते थे और फिर दुकानदारों और दलालों की मदद से शस्त्र कार्यालय से टीएल तैयार कराते थे। राजकिशोर को 3 जुलाई 2016 में सिवान में साथियों के साथ दबोचा गया था।
जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा खेल
एटीएस कानपुर यूनिट ने 24 मई 2017 को इस जालसाजी का खुलासा कर लखनऊ में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस कड़ी में 25 जुलाई 2017 को कानपुर में छापेमारी की गई। खन्ना आर्मरी के मालिक विजय खन्ना, ए.के. नियोगी एंड कंपनी के मालिक अमर जीत नियोगी, पूर्वांचल गन हाउस के मालिक जैनुल आब्दीन, जय जवान आर्म्स डीलर के प्रबंधक राजीव शुक्ला को गिरफ्तार किया गया था। इस धर पकड़ में बिहार के जिलों के नाम से बने ट्रांजिट प्रक्रिया के तहत फर्जी लाइसेंस से हथियार बेचने के गोरखधंधा के सबूत भी मिले थे। कार्यवाही की कड़ी में असलहा दुकानों के रजिस्टर भी जब्त किए गए थे। जिलाधिकारी के नेतृत्व में बनी एडीएम स्तर के अधिकारियों की टीम ने इसकी छानबीन भी की गई। जांच में आरोप सच पाए गए।
जांच में सामने आया बड़ा सच
एटीएस की टीम ने दुकानों की छापेमारी में मिले अभिलेखों की सत्यता की पड़ताल की। जिसमें कानपुर शस्त्र कार्यालय में छानबीन में यह पाया गया कि, यहां से ट्रांजिस्ट लाइसेंस पर शस्त्र चढ़ाए गए। इस बात की पुष्टि जय जवान आर्म्स के रजिस्टर और अन्य शस्त्र विक्रेताओं के अभिलेखों की जांच में साफ हो गई। एटीएस की छानबीन में आया है कि 2014-2016 के बीच हुए फर्जी बाड़ा में उपेंद्र और मुंगेर जिले के बेलन बाजार निवासी उसके साथी राज किशोर राय ने अहम भूमिका निभाई। दोनों मुंगेर ही नहीं खगड़िया समेत कई जिलों के फर्जी शस्त्र लाइसेंस तैयार करते थे। इन लोगों के पास फर्जी मोहर, अधिकारियों के हस्ताक्षर के नमूने संबंधी साक्ष्य भी एटीएस को मिले हैं।
एटीएफ रिमांड पर उपेंन्द्र को लायेगी यूपी
आईजी एटीएस का कहना है कि उपेंद्र को बिहार से ट्रांजिट रिमांड पर यहां लाया जाएगा। उससे पूछताछ में कई और राज सामने आएंगे। अपराधियों और हथियार की तस्करी से जुड़े नेटवर्क का भी सुराग लगने की उम्मीद है। उपेंद्र को गिफ्तार करने गई में एटीएस एसपी मनीष चंद्र सोनकर, कानपुर इंस्पेक्टर हरीशंकर मिश्रा, उप निरीक्षक उपेंद्र सिंह, अनिरुद्ध दुबे, अन्य पुलिस कर्मचारीगणों में संजय सिंह, रवि कुमार, विजय कुमार सचान शामिल हैं।