अनेक धर्म
ये दुनिया कितनी बड़ी है, इसमें अनगिनत संख्या में लोग रहते हैं और ये लोग विभिन्न धर्मों को मानते हैं। दुनिया कितनी बड़ी है इस बात का अंदाज़ा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां कितने सारे धर्म हैं, उन सभी धर्मों के अलग-अलग रिवाज़ हैं, कुछ उसूल हैं जिन्हें उसका पालन करने वाले मानते हैं।
विभिन्न मान्यताएं
हर धर्म अपने बारे में कुछ ना कुछ अलग कहता है, लेकिन अंत में सभी धर्म हमें इंसानियत का पाठ ही पढ़ाते हैं जिसे यदि मनुष्य समझ ले तो कभी कोई दुखी नहीं रहेगा।
इस्लाम धर्म
खैर हमारा आज का मुद्दा यह नहीं है, आज हम इस्लाम धर्म से जुड़ा एक ऐसा मुद्दा उठाने जा रहे हैं जो आएदिन हम सुनते तो हैं लेकिन कभी इस जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश नहीं करते कि ‘ऐसा क्यों है?’ इस्लाम धर्म में अल्लाह को समय पर याद करने और उसकी इबादत करने के समय को काफी अहम माना गया है।
अल्लाह की इबादत
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इस्लाम धर्म को मानने वाले चाहे खाना भूल जाएं, दिन के जरूरी कार्यों को भूल जाएं, किसी सगे संबंधी से बात करना भूल जाएं लेकिन अल्लाह को याद करना वे कभी नहीं भूलते, खासतौर से शुक्रवार के दिन।
शुक्रवार का दिन
इस्लाम धर्म में शुक्रवार को नमाज़ पढ़ना अति आवश्यक माना गया है, लेकिन ऐसा क्यों? क्या इसके पीछे कोई इस्लामिक नियम है या यह महज़ लोगों का बनाया हुआ कोई कायदा है? क्या शुक्रवार के ही दिन नमाज करने पर अल्लाह अपने बच्चों को कोई महत्वपूर्ण तोहफा देते हैं?
कुछ सवाल
क्या शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ने के पीछे कुरान में कोई कारण दिया गया है या फिर समय के साथ स्वयं ही लोगों ने इस रिवाज़ को अपना लिया? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे आज हम यहां।
हर शुक्रवार करते हैं नमाज
हर शुक्रवार मस्जिद में या फिर घर के पास बने किसी पार्क में हम लोगों को नमाज पढ़ते हुए देखते जरूर हैं। यहां तक कि एक नमाजी को जहां कहीं भी जगह मिले, वह शुक्रवार के दिन अपना आसन बिछाकर वहां नमाज पढ़ना आरंभ कर देता है। लेकिन क्या कभी आपके मन में यह सवाल आया है कि आखिर शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ना इतना विशेष क्यों है?
क्यों चुना शुक्रवार का दिन?
यूं तो हर दिन अल्लाह का है, उसे याद करने का है तो ऐसे में शुक्रवार की नमाज का महत्व इतना खास क्यों है? आसान भाषा में यदि इस सवाल का जवाब पाने की कोशिश करें तो इस्लाम धर्म में शुक्रवार को जुम्मे का दिन कहा जाता है, जिसके अनुसार इस दिन सभी मुसलमानों को एकत्रित होकर अल्लाह का नाम लेना होता है।
क्या है कारण?
क्या आपने कभी जामा मस्जिद का मान सुना है? दरअसल जामा मस्जिद का ‘जुम्मा’ के नाम पर ही रखा गया है, जिसके अनुसार यह वह स्थान है जहां हर जुम्मे के दिन लोग एकत्रित होकर नमाज पढ़ते हैं। एक दूसरे से मिलकर अपनी जिंदगी की परेशानियों का हल निकालते हैं और एक दूसरे के प्रति अपने रिश्ते को कायम रखते हैं।