रांची। अॉल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) 2019 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग हो सकती है। शुक्रवार को पार्टी के स्थापना दिवस विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित संकल्प सभा में यह बात उठी कि आजसू को अपने बूते सभी 81 विधानसभा सीटों पर अपना प्रत्याशी देना चाहिए। पार्टी कार्यकर्ता भी अपने नेतृत्व पर अकेले चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे हैं।
गोड्डा के महगामा विधानसभा क्षेत्र में आयोजित संकल्प सभा में तो जिलाध्यक्ष सुरेश महतो ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए स्पष्ट कह दिया कि पार्टी अगले विधानसभा चुनाव में सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को तैयार रहना चाहिए। इसी तरह की बातें कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी कही गईं। इस बाबत पूछे जाने पर पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता डा. देवशरण भगत ने गोड्डा जिलाध्यक्ष के बयान को किसी तरह का इत्तेफाक या पार्टी लाइन के विरुद्ध नहीं कहा। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में पार्टी सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी निश्चित रूप से कर रही है। तभी तो पार्टी ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में संकल्प सभा आयोजित किया।
झारखंड उपचुनाव के बाद बढ़ गई भाजपा से दूरी
झारखंड उपचुनाव में दोनों सीटों गोमिया व सिल्ली में हार के बाद आजसू की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ दूरी बढ़ गई है। चुनाव परिणाम के बाद पार्टी अध्यक्ष सुदेश महतो ने तो गठबंधन की समीक्षा करने तक की बात कही दी थी। उन्होंने दोनों सीटों पर मतदान के दौरान जिला प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठाया था। संकल्प सभा के दौरान भी उन्होंने कई नीतियों पर सवाल उठाते हुए अपनी ही सरकार को निशाने पर लिया।
आजसू की चुनौती, आमने-सामने बैठकर गठबंधन की समीक्षा करे भाजपा
ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के विधायक सह प्रधान महासचिव रामचंद्र सहिस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आमने-सामने बैठकर गठबंधन की समीक्षा करने की चुनौती दी है। उन्होंने दो टूक कहा है कि सीधी बात के दौरान पार्टी स्पष्ट करेगी कि झारखंडी भावनाओं और जरूरतों की किस तरह अनदेखी की जा रही है। उन्होंने दावा किया है कि पार्टी अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो सरकार की नीतियों और जनहित के मुद्दों पर सकारात्मक फैसले लेने का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन हालात अच्छे नहीं हैं। सहिस राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह द्वारा दिए गए यह बयान कि आजसू पार्टी एनडीए का बहुत बड़ा घटक नहीं है, पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।
सहिस ने कहा है कि अगर आजसू बड़ा घटक नहीं है तो भाजपा को गठबंधन में किस हैसियत वाले दल की जरूरत है, मंत्री को स्पष्ट करना चाहिए। मंत्री को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा है कि मंत्री को शायद वर्ष 2000 की याद नहीं है, जब अकेला विधायक सुदेश महतो के समर्थन में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी थी। 2005 में आजसू ने ही एनडीए की सरकार बनवाई थी। आज की बात करें तो यह आजसू की सकारात्मक सोच का हीं परिणाम है कि राज्य में पहली बार बहुमत की सरकार बनी है। विकास का एजेंडा सिर्फ भाजपा के लिए ही सर्वोपरि नहीं है। आजसू हर मामले में अधिक ईमानदार रही है, चाहे वह गठबंधन धर्म का मामला हो, विकास का मामला हो अथवा झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के हित का मामला हो। आदिवासियों- मूलवासियों की भावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आज भाजपा और सरकार अगर झारखंड में खुद को दमदार स्थिति में आंकती है तो उसमें आजसू का सहयोग भी शामिल है।
उन्होंने कहा है कि झारखंड को गिरवी रखने वालों ने महागठबंधन बनाकर एकबार फिर राज्य को विनाश के गर्त में धकेलने का प्रयास शुरू किया है, आजसू उसकी मंशा सफल नहीं होने देगी। आजसू ने इसलिए स्थिति की समीक्षा का फैसला लिया है।