सीतापुर-अनूप पाण्डेय,अमरेंद्र पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के महमूदाबाद में भूमाफियाओं के आगे प्रशासनिक अधिकारियों के दावे हवा-हवाई हो रहे साबित जनपद सीतापुर की तहसील महमूदाबाद में ट्रस्ट की वेश कीमती भूमि पर भूमाफियाओं के द्वारा अवैध रुप से कब्जा करके कर देते हैं प्लाटिंग । उदासीन संगत किला मंदिर के सरवराकार महंत अरविन्द दास के द्वारा मीडिया को यह जानकारी दी गई कि महमूदाबाद से बिसवां जाने वाले मार्ग पर हरदेव लाला स्थान के निकट ट्रस्ट की शेष बची जमीन पर स्थानीय नेता और दबंग भूमाफियाओं के द्वारा भूमि पर अवैध कब्जा कर अवैध निर्माण की योजना बनाई जा रही है उस भूमि की शेष भूमि इससे पहले भी विष्णु दास ने 14 बीघे जमीन भूमाफियाओं के हाथ बेची थी तत्पश्चात संतोष दास ने भी 40 बीघे जमीन 12 रुपये वर्गफुट के हिसाब से भूमाफियाओं के हाथों बेच दी थी और 92 लाख रुपये लेकर फरार हो गया था। 1994 में अब जो शेष बची भूमि पर भूमाफियाओं के द्वारा कब्जा कर उसपे प्लाटिंग कर निर्माण कार्य शुरु करने की योजना बना रहे है । मौजूदा सरवराकार महंत अरविंद दास के द्वारा उपजिलाधिकारी महमूदाबाद से लेकर जिले के आला अधिकारियों को प्रार्थना पत्र के द्वारा सूचना दे दी गयी है । शासन एवं प्रशासन से फरियादी महंत ने लगाई गुहार देखना यह है कि अब शासन प्रशासन इन भूमाफियाओं पर क्या कार्यवाही करता है । यूपी सरकार में एन्टी भूमाफियाओं का डर दिख रहा है भूमाफिया बेझिझक कर रहे है जमीनों पर कब्जा । सूत्रों के द्वारा मीडिया टीम को जो ज्ञात हुआ है वह समाज को बताने का प्रयास किया गया है। आपको बताते चलें कि महमूदाबाद (अवध) के वर्तमान (राजा) कहे जाने वाले राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खाँ के पूर्वजों के समय की बात है। राजा का दरबार लगा हुआ था उसी समय पर उदासीन संगत किला में कोई कार्यक्रम था। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद बाबा ने प्रसाद किले के दरबार में अपने शिष्य के द्वारा भेजा था। शिष्य जब प्रसाद लेकर राजा के किले के परिसर में पहुँचा तो जनता को देख कर हैरान हो गया। तथा किले से वापस संगत की तरफ चल दिया। शिष्य की स्थित को संगत में मौजूद बाबा ने जान ली। संगत से बाबा चल दिये रास्ते में शिष्य की मुलाकात बाबा से हो गयी। तो बाबा ने शिष्य से पूछा कि बेटा तुम लौट क्यों आये। प्रसाद का वितरण क्यों नहीं किया। तो शिष्य ने उत्तर दिया कि दरबार में जनता बहुत है। और प्रसाद कम है। मैं कैसे बाँट देता तो बाबा ने अपने शिष्य से कहा कि प्रभू अर्थात भगवान का नाम लेकर श्री गणेश करते भगवान स्वयं पूरा करता। खैर कोई बात नहीं बाबा ने अपने शिष्य को वहीं से अपने साथ वापस करके दरबार में पहुंचे और अपना राम नामी चादर उस प्रसाद के थाल पर डाल कर प्रसाद का वितरण करने लगे सारी जनता को प्रसाद वितरण होने के बाद भी थाल में प्रसाद उतना ही बच गया। जितना बाबा ने अपने शिष्य के द्वारा भेजा था। यह करिश्मा देख कर राजा अचम्भित रह गया और बाबा से बहुत खुश हुआ। राजा की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।उसी खुशी में राजा महमूदाबाद ने सैकड़ों एकड़ भूमि उदासीन संगत किला मन्दिर में दान कर दिया। तबसे लेकर संगत में महन्त आते रहे और संगत की विरासत को धरोहर समझ कर सेवा करते रहे। लगभग दो दसक पहले की बात है। इस धरोहर में दीमक लग गया। जोकि अब नासूर बन गया है।जिसके कारण आज संगत किला की भूमि पर सत्ता पक्ष के लोगों के द्वारा समय समय पर नाजायज कब्जा कर लिया जाता है। भूमाफिया नाजायज कब्जा कैसे तथा कैसे भूमि को अपने नाम रजिस्ट्री करवा लेते हैं। यह तो सोचने वाली बात है। जबकि सूबे के मुख्यमंत्री भी सन्त है। तब भी उत्तर प्रदेश के सन्तो को विरासत में मिली भूमि को मुख्यमंत्री के नुमाइंदे अपनी दबंगई अथवा सरकसी करके भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। क्या इन लोगों के लिये कोई कानून मुख्यमंत्री के पास नहीं है। कि ऐसे भूमाफियों पर कार्यवाही की जा सके। अगर उदासीन संगत किला मन्दिर की भूमि को अवैध कब्जा करने वालों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही नहीं हुई तो एक दिन ऐसा आ जायेगा जब उपरोक्त संगत का नामों निशान मिट जायेगा। महमूदाबाद के तालाब धीरे धीर मिटे जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर संगत किला के सामने का तालाब किसके कहने पर मिटाया जा रहा है। इसकी न्यायिक जाँच करके दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही होना चाहिए। महमूदाबाद में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर व्याप्त है। एक कहावत है। कि वही चोर हैं। और वही डोली के साथ हैं। महमूदाबाद के भूमाफियाओं को अगर नाजायज कब्जा करने का शौक है तो रेलवे विभाग एवं परिवहन विभाग सरकार की उन जमीनों पर कब्जा करें। जो बिकुल खाली पड़ी हैं।