नई दिल्ली। पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया की सबसे बड़ी झलक अगले साल देखने को मिल सकती है। मोदी सरकार ने इस क्षेत्र में एक कदम और बढ़ाते हुए कहा है कि 2017 से सभी डिग्रियां डिजिटल फॉर्म में मिलेंगी।
सूत्रों से खबरें मिली हैं कि चाहे दसवीं-बारहवीं के सर्टिफिकेट हों या ग्रेजुएशन, मास्टर्स या फिर पीएचडी और डी लिट डिग्रियां डिजिटल फॉर्म में मिलेंगी। 2017 से लगभग सभी कॉलेज इस टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। एचआरडी मिनिस्ट्री ने बयान देते हुए कहा है कि अगले साल 2017 से कागजी डिग्रियों और प्रमाणपत्रों को इतिहास के बक्से में बंद कर देने की समय सीमा तय कर दी है क्योंकि अब छात्रों को डिजिटल डिग्रियां दी जाएंगी। साथ ही डिग्रियों और सर्टिफिकेटों को डिजfटल लॉकर्स में सुरक्षित रखा जाएगा।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि युवा सोच और उनकी आज की जरूरतों को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है। इस नए कदम के लिए आईटी मंत्रालय के साथ समुचित तालमेल कर तकनीकी तैयारी तेजी से चल रही है।
सबसे पहले पूरे देश के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों का डाटाबेस बनाया गया है। इसमें CBSE को भी शामिल किया जा रहा है। यहां हरेक छात्र से जुड़ी तमाम जानकारी डाली जा रही है। परीक्षा पास करने के बाद छात्रों को दीक्षांत समारोह में डिजीटल डिग्री दी जाएगी। कागजी डिग्री का सिस्टम खत्म करना छात्रों को, सरकार को, समाज को और सबसे ज्यादा पर्यावरण को लाभ पहुंचाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कई विश्वविद्यालयों से शिकायत आई थी कि उनके अभिलेखागारों में पुरानी डिग्रियां भरी पड़ी हैं। दशकों हो गए कोई लेने ही नहीं आया। अब कब तक ऐसी डिग्रियों को संभाला जाएगा। वहीं कई छात्रों की तरफ से शिकायत मिली थी कि क्लर्क उनकी डिग्री देने के लिए कोई ना कोई बहाना बना कर पैसे मांगते हैं। अब नये सिस्टम में ऐसी सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।