नई दिल्ली, एजेंसी । राज्य में 1 मार्च से कोक और पेप्सी की बिक्री को व्यापारियों ने पूरी तरह से बंद कर दिया है। व्यापारियों के इस कदम से दोनों कंपनियों को 1400 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है।
गौरतलब है की 27 जनवरी को प्रदेश के व्यापारियों संगठनों ने इस बात का फैसला किया था कि वो दोनों विदेशी पेय ब्रांडों की बिक्री को पूरी तरह से बंद कर देंगे।
हालांकि अभी चेन्नई की कुछ दुकानों पर इनकी बिक्री जारी है, क्योंकि कई दुकानदारों ने फैसले के पहले से ही काफी पैसा निवेश कर दिया था। लेकिन ज्यादातर दुकानों ने बिक्री को बैन कर दिया है और बकायदा इसके लिए नोटिस भी लगा दिया है। इसके अलावा व्यापारी संगठनों ने राज्य सरकार से भी अपील की है कि वो इन कंपनियों पर तुरंत बैन लगाए।
इन व्यापारी संगठनों ने लिया है फैसला
तमिलनाडु वानीगर संगम और तमिलनाडु ट्रेडर्स फेडरेशन ने कहा है कि दोनों कंपनियां राज्य में मौजूद जल निकायों का दोहन कर रही हैं और सूखे के बावजूद इन दोनों कंपनियों ने इसको जारी रखा है। इन दोनों संगठनों से करीब 15 लाख व्यापारी जुडे़ हुए हैं। यह 15 लाख व्यापारी प्रदेश में फैले छोटे-छोटे 6 हजार से अधिक संगठनों से जुडे़ हैं।
पेप्सी का है राज्य में 60 फीसदी मार्केट शेयर
पेप्सीको के कोल्डड्रिंक ब्रांड पेप्सी का राज्य में 60 फीसदी शेयर है। कोक-पेप्सी के राज्य में पांच प्लांट हैं, जहां से पूरे राज्य में इनकी बिक्री होती है। दोनों कंपनियां स्थानीय स्तर पर काफी पैसा खर्च करती हैं। पेप्सी ने तमिल फिल्मों के सुपरस्टार धनुष को अपना ब्रांड अंबेसडर भी बना रखा है।
कंपनियों ने जताई थी फैसले पर आपत्ति
इंडियन ब्रीवरेज एसोसिएशन ने दोनों कंपनियों की तरफ से व्यापारी संगठनों द्वारा लिए गए इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। एसोसिएशन ने कहा कि बिक्री बैन करना या नहीं करने का फैसला केवल राज्य सरकार ले सकती है। इस फैसले से देश की छवि और इकनॉमी दोनों पर असर पड़ेगा।
केंद्र लगा सकता है अतिरिक्त टैक्स
केंद्र सरकार भी 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में इन कंपनियों पर फैट टैक्स लगा सकती है। इससे भी कंपनियों की सेल्स पर असर पड़ने की संभावना है। फिलहाल दोनों कंपनियों का ग्रोथ रेट भी सिंगल डिजिट में हो रहा है। इससे इनकी बिक्री पर असर पड़ेगा। दोनों कंपनियां देश में 14000 करोड़ रुपये का व्यापार करती हैं।