नई दिल्ली,एजेंसी । ट्रिपल तलाक मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा कि क्या वो एक प्रस्ताव पारित कर सकती है कि वो काजी से कहें कि वे महिलाओं को ट्रिपल तलाक को ना कहने का एक विकल्प दें।
कोर्ट ने पूछा कि क्या ये विकल्प निकाहनामा के समय दिया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि ये महज एक सलाह है और इसका कोई मतलब न निकाला जाए।
कोर्ट के सुझाव को सिब्बल ने बताया अच्छा
इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम से कहा- ये अच्छा सुझाव है।
ट्रिपल तलाक का इस्तेमाल महज 0.44 फीसदी मामलों में
सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई करने को चुनौती दी। बोर्ड ने आंकड़ा देते हुए कहा कि तलाक के लिए ट्रिपल तलाक का इस्तेमाल महज 0.44 फीसदी मामलों में ही हुआ है।
तीन तलाक मुस्लिमों की आस्था का मसला: पर्सनल लॉ बोर्ड
इससे पहले मंगलवार को तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने तीन तलाक को मुस्लिमों की आस्था का मुद्दा बताते हुए दलील दी कि अगर भगवान राम के अयोध्या में जन्म लेने को लेकर हिंदुओं की आस्था पर सवाल नहीं उठाए जा सकते तो तीन तलाक पर सवाल क्यों? उन्होंने तीन तलाक अमान्य होने की स्थिति में नया कानून लाने के केंद्र के बयान पर भी सवाल उठाए।