वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे डेंगू,चिकनगुनिया या मलेरिया के प्रकोप का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। इस तकनीक का कुछ राज्यों में परीक्षण भी सफल रहे हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी हैदराबाद ने विकसित की है तकनीक
सीएसआईआर की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी ने मैनेजमेंट इंफार्मेशन सिस्टम (एमआईएस) विकसित किया है जो मच्छर जनित बीमारियों का सटीक पूर्वानुमान करता है। संस्थान के निदेशक यूएसएन मूर्ति का कहना है कि इस पूर्वानुमान से फायदा यह है कि स्वास्थ्य या नागरिक एजेंसी बचाव के लिए ऐहतियाती कदम उठा सकती है। इस सिस्टम को गुजरात, मणिपुर, अरुणाचल, असम तथा मिजोरम में कई स्थानों पर आजमाया गया तथा यह सफल रहा है।
मूर्ति के अनुसार यदि दिल्ली को डेंगू एवं चिकनगुनिया के फैलने का पूर्वानुमान करना हो तो यह सिस्टम बेहद कारगर है। इसमें मूलत तीन-चार किस्म के आंकड़े तैयार होते हैं। सबसे पहले इस सिस्टम में मच्छरों का घनत्व की जानकारी एकत्र कर डाली जाती है। उसके बाद पिछले दस सालों के दौरान संबंधित क्षेत्र में मच्छर जनित बीमारियों के प्रकोप आदि का ब्यौरा होता है। फिर तापमान, सफाई व्यवस्था आदि के आंकड़े होते हैं। इन सभी आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है जिससे आधार पर सिस्टम मच्छर जनित बीमारियों के प्रकोप को लेकर पूर्वानुमान जारी करता है।
मूर्ति ने बताया कि नेशनल बैक्टर बार्न डिजिज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत कई राज्यों में इस सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नागरिक एजेंसियों को इस सिस्टम की जानकारी की कमी है, इसलिए वे इसका उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। यह डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया, जापानी इन्सेफेलाइटिस समेत उन सभी बीमारियों में कारगर है जिनके लिए मच्छर जिम्मेदार है।