लखनऊ,दीपक ठाकुर तमाम अटकलों को बाद आखिरकार प्रियंका गांधी ने अपने गढ़ में चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाल ही लिया उनके देर से आने पर अटकलों का बाजार गर्म था कि क्या वजह है जो प्रियंका उत्तर प्रदेश में चुनावी जनसभा नहीं कर रही लोग तो यहाँ तक अनुमान लगा बैठे थे की शायद गठबंधन की जिम्मेवारी निभाने के बाद उनका इरादा पार्टी के प्रचार का नहीं रहा पर उन तमाम अटकलों को शुक्रवार को तब विराम लगा जब रायबरेली में प्रियंका अपने भाई राहुल गांधी के साथ मंच साझा करते हुए दिख ही गई।
प्रियंका को देखने के लिए भारी हुजूम भी इकठ्ठा हुआ और जब प्रियंका ने बोलना शुरू किया तब समझ में आया की उनके आने में देर हुई तो क्यों।
जिसने भी प्रियंका गांधी का भाषण सुना वो सन्न रह गया कि प्रियंका इतनी सादगी से कितना हमलावर रुख अपनाये हुए है सबने यही सोचा की इसी की तैयारी में बिजी थी प्रियंका गांधी।
अपने चुनावी भाषण में प्रियंका ने प्रधानमंत्री मोदी के हर सवालों का बखूबी जवाब दिया उनके गोद लिए जाने वाले वक्तव्य पर चुटकी लेते हुए कहा कि यूपी में बेटो की कमी नहीं जो किसी और को गोद लिया जाए वही नोट बंदी के दौरान लगी लंबी लाइन को भी प्रियंका ने अपने सधे अंदाज में मुद्दा बना कर जनता के सामने प्रस्तुत किया।
प्रियंका ने जहाँ प्रधान मंत्री पर हमलावर रुख अपनाया वही राहुल और अखिलेश के गठबंधन की दिल खोल कर तारीफ़ भी की यूपी में अखिलेश के किये गए कार्यों की सराहना करते हुए उन्होंने कहां कि गठबंधन की सरकार से उत्तर प्रदेश के हर वर्ग को फायदा मिलेगा।
प्रियंका के भाषणों में उनके द्वारा किया गया होमवर्क साफ़ नज़र आ रहा था वो चुनावी सभा में देर से ज़रूर आई मगर पूरी तैयारी के साथ नज़र आ रही थी ।
अब जनता को ये तय करना है कि वो प्रियंका के होमवर्क में उनको पास करते हैं या देर से आने की पनिशमेंट देते हैं।।।