दिली (पूर्वी तिमोर),एजेंसी-10 सितम्बर । दक्षिण पूर्व एशिया में प्रतिवर्ष 10.3 लाख लोगों की तम्बाकू सेवन से मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल ने कहा, “रोकी जा सकने वाली मौतों का सबसे बड़ा कारण तम्बाकू सेवन है। दुनियाभर में तम्बाकू सेवन से प्रतिवर्ष 60 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जिसमें 6 लाख से ज्यादा मौतें अप्रत्यक्ष धूम्रपान के कारण होती हैं।”
खेत्रपाल विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय समीति की मीटिंग के उद्घाटन के अवसर पर बोल रही थीं। इस मीटिंग में 11 देशों के स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारी क्षेत्र के स्वास्थ्य एजेंडा पर विचार करने और स्वास्थ्य प्राथमिकताएं तय करने के लिए मुलाकात कर रहे हैं। इस अवसर पर देश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रुई मारिया भी उपस्थित थे। सिंह ने कहा कि क्षेत्र दुनियाभर में सबसे बड़ा तम्बाकू उत्पादक और सेवक है।
सिंह के मुताबिक, “क्षेत्र में कई प्रकार के धूम्र और धूम्र मुक्त तम्बाकू उत्पादों का प्रयोग किया जाता है। इस कारण तम्बाकू के सेवन को नियंत्रित करने के लिए कराधान और नियामकों को एक समान करना कठिन होता है। ” लेकिन सिंह ने यह भी कहा कि वे इस बात से खुश हैं कि क्षेत्र में कई सदस्य राज्यों ने तम्बाकू नियंत्रण गतिविधियों को बढ़ाया है। संवाददाता सम्मेलन में अपने क्षेत्रीय सहभागियों की तुलना में भारत में तम्बाकू नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में सिंह ने कहा कि भारत ने तम्बाकू के पैक पर चित्र में चेतावनी के आकार को 40 फीसदी से बढ़ाकर 80 फीसदी करने की इच्छा जताई थी।
लेकिन सिंह ने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि चित्र पर चेतावनी की प्रतिबद्धता पर भारत कायम रहेगा या नहीं। सिंह ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भारत को तम्बाकू नियंत्रण पर सलाह देता रहेगा।
सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय मीटिंग की सबसे खास बात यह रही कि प्रतिभागी देशों को तम्बाकू नियंत्रण से संबंधित अन्य देशों की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली की जानकारी मिली। कई देशों ने धूम्र मुक्त सार्वजनिक स्थान घोषित किए हैं और तम्बाकू के उत्पादों के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया है। थाईलैंड में पैक के दोनों ओर 85 फीसदी हिस्से पर चित्र के रूप में चेतावनी है। नेपाल में यह 83 फीसदी है। तम्बाकू नियंत्रण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन समझौते में भारत की ओर से भी हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन मंत्रिस्तरीय क्षेत्रीय बैठक में भारत ने भाग नहीं लिया। देश की राजधानी में बैठक 7 सितंबर से शुरू हुई, जो 11 सितंबर तक चलेगी।