लखनऊ, दीपक ठाकुर। दवा बिक्री में सख्ती को लेकर उसके विरोध में मंगलवार को पूरे देश में दवा की दुकानें बंद रही। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के मुताबिक उन्होंने सरकार को सख्त नियम के खिलाफ प्रस्ताव भेजे थे, लेकिन उस पर कोई कारवाई ना होते देख ये निर्णय लिया गया है।
इसका असर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी दिखाई दिया जहां लगभग सभी दवा की दुकानों पर ताला जड़ा नज़र आया जिससे उन लोगों को काफी परेशानी हुई जिनको या तो इस हड़ताल की जानकारी ना थी या जिनके लिए दवा लेना बेहद ज़रूरी था।हमने देखा कि कई लोग दुकान के शटर के सामने इस उम्मीद से बैठे थे कि शायद आज दुकान देर से खुले और उन्हें उनकी जरूरत की दवा मिल सके।
माना जा रहा है कि लगभग 9 लाख दवा की दुकानें आज बंद रही जिससे फर्क अगर किसी को पड़ा तो आम जनता को जो दवा की आस में दर दर भटकता नज़र आ रहा था।हालांकि सरकार जिस नए नियम की बात कर रही है उससे दवा विक्रेताओं की मनमानी पर अंकुश तो लगेगा ही साथ जनता को भी सही दवा का लाभ मिलेगा इन अच्छाइयों के बावजूद भी हड़ताल का किया जाना सीधे तौर पर सरकार का विरोध और जनता की अनदेखी ही कहलायेगा अब इस पर सरकार क्या रुख अपनाती है ये देखने वाली बात होगी।
वैसे अभी क्या होता है कि हर गली मोहल्ले में दवा की दुकानें भी परचून की दुकानों की भांति ही खोली जाती दिखाई देती थी पर इस नियम के लागू होने के बाद ऐसा हो पाना मुश्किल होगा क्योंकि दवा की दुकान के लिए पहले दुकान के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी जो करा पाना सबके बस का नही होगा दूसरा हर लेन देन की खबर भी सरकार तक जाएगी जिससे इसमें हो रही लूट पर भी अंकुश लगेगा।