राजधानी दिल्ली में निजी बिजली वितरण कंपनियों ने घाटे का रोना रोकर बिजली दरों में 13 फीसद तक की वृद्धि का प्रस्ताव दिया है.
राजधानी में एक बार फिर बिजली की दरों में वृद्धि लगभग तय है क्योंकि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के उस आग्रह को ठुकरा दिया है, जिसमें मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से आग्रह किया था कि दिल्ली को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाए.
गौरतलब है कि दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) इन दिनों बिजली की दरों की समीक्षा कर रहा है. निजी बिजली वितरण कंपनियों ने घाटे का रोना रोकर बिजली दरों में 13 फीसद तक की वृद्धि का प्रस्ताव दिया है.
इन प्रस्तावों पर डीईआरसी आम जनता के सुझाव व आपत्तियां भी ले चुकी है. दरअसल फरवरी माह में डीईआरसी ने दिल्ली सरकार से कहा था कि वह भारी घाटा झेल रही निजी बिजली वितरण कंपनियों को बेलआउट पैकेज दे.
इसके बाद मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ज्योतिरादित्य सिंधिया से फरवरी माह में ही मुलाकात की थी और आग्रह किया था कि दिल्ली को एनटीपीसी से सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराई जाए. साथ ही बेलआउट पैकेज के लिए केंद्र सरकार वित्तीय मदद करे. सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के इस आग्रह को ठुकरा दिया है.
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी हालांकि इस माह के आरंभ में बिजली की दरों में वृद्धि का संकेत दे दिया था और कहा था कि जो लोग पॉश इलाकों में रहते हैं, उन्हें बिजली की अधिक दरें क्यों नहीं देनी चाहिए.
उधर डीईआरसी ने पहले ही साफ कर दिया था कि यदि दिल्ली सरकार राजधानी की तीनों बिजली वितरण कंपनियों को यदि वित्तीय मदद करने में विफल रहती है तो बिजली की दरें बढ़ाना मजबूरी हो जाएगी. वर्ष 2011 में राजधानी में बिजली की दरें 22 फीसद बढ़ी थीं, जबकि गत वर्ष फरवरी माह में 5 फीसद और जुलाई माह में 26 फीसद का इजाफा हुआ था.
चूंकि इसी वर्ष दिल्ली विधानसभा के चुनाव होने हैं उधर बिजली को लेकर भाजपा व अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दिल्ली की कांग्रेस सरकार पर लगातार हमले करती रही है, ऐसे में सरकार की पुरजोर कोशिश थी कि बिजली की दरें कम से कम इस वर्ष न बढ़ें.