नई दिल्ली,एजेंसी-19 सितम्बर। एक ताजा शोध के अनुसार आने वाले 10 सालों में दुनिया में वायु प्रदूषण के शिकार सबसे ज्यादा लोग दिल्ली में होंगे । इस शोध रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर प्रदूषण स्तर को काबू में नहीं किया गया तो साल 2025 तक दिल्ली में हर साल करीब 32,000 लोग प्रदूषित वायु के शिकार होंगे । जानलेवा प्रदूषण स्तर की रिपोर्ट पर गंभीर चिंता जाहिर करते हुए गैर सरकारी संगठन ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवारनमेंट’ (सी एस ई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं, “यह बात बिल्कुल सही है कि दिल्ली में प्रदूषण की मात्रा बहुत ज्यादा है, इस से जो खतरा है और इससे जनसेहत पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में हम सबको पता है।
हमारे पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली में हर घंटे एक मौत होती है। इसके साथ यह भी पाया गया है कि आज हर तीसरे बच्चे के फेफड़े कुछ विकृत हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट आज काफी गंभीर है। इस सन्दर्भ में किया गया नया शोध यह बताता है कि अगर प्रदूषण पर काबू नहीं पाया गया और यदि वह लगातार बढ़ता गया, तो आने वाले समय में मौत के आंकड़े और भी बढ़ जायेंगे।”
नेचर पत्रिका में प्रकाशित ताजा शोध के मुताबिक दुनियाभर में 33 लाख लोग हर साल वायु प्रदूषण के शिकार होते हैं । पूरी दुनिया के लिहाज से देखें तो भारत, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रदूषण से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। रिपोर्ट में खतरे से आगाह करते हुए यह कहा गया है कि जिस तेजी से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है उससे साल 2050 तक पूरी दुनिय़ा में हर साल 66 लाख लोगों की मौत का कारण वायु प्रदूषण होगा।
दरअसल इस खतरे के मुख्य कारण 2.5 माइक्रो मीटर व्यास वाला धुएं में मौजूद एक पार्टिकल और वाहनों से निकलने वाली गैस नाइट्रोजन ऑक्साइड है, जिसके कारण वायु प्रदूषण से हुई मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस खतरे का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वायु प्रदूषण करीब 25 फीसदी फेफड़े के कैंसर की वजह है। इस खतरे पर काबू पा लेने से हर साल करीब 10 लाख लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकेंगी ।
जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ केमिस्ट्री में हुए इस शोध में यह पाया गया है कि वायु प्रदूषण से मरने वालों की संख्या में वैश्विक स्तर पर एक तिहाई लोगों की मौत घरेलू ऊर्जा से होने वाले प्रदूषण के कारण होती है। एशियाई देशों में घरेलू ऊर्जा प्रदूषण मौत का सबसे बड़ा कारण है। विकाशसील देशों में वायु प्रदूषण से मौत का खतरा ज्यादा है, वह इसलिए क्योंकि वहां जनसंख्या अधिक है और हवा की गुणवत्ता बेहद खराब।