नई दिल्ली, एजेंसी: प्रधानमंत्री ने गांव के विकास के लिए एक कदम उठाते हुए अब पुरुषो के साथ-साथ महिलाओं को भी साथ लाने का काम किया है. इसके लिए महिला स्वयंसेवी समूहों की मदद ली जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि इस वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री ग्रामीण परिवहन योजना की शुरुआत कर सकते . इस योजना में महिलायों की भूमिका अहम् होगी.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिन्हा ने कहा किइस योजना की शुरुआत सबसे पहले माओवादी प्रभावित देश के 250 ब्लॉक में की जाएगी.
सरकार महिला स्वयंसेवी समूहों को मुफ्त में लोन के साथ साथ 10-12 सवारी वाली मिनी बस चलने का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. उन्होंने अपने जानकारी में बताया कि देश में कूल 32 लाख महिला स्वयंसेवी समूह जिसमे 3.8 करोड़ महिलाएं सदस्य है और इनमें से हीं कई को केंद्र सरकार इस योजना में शामिल करेगी. केंद्र सरकार पहले चरण में उन महिला स्वयंसेवी समूहों को जोड़ेगी जो ग्रामीण भारत के उन इलाकों में हैं जहां सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था नहीं है और ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान देश में बने 62 प्रशिक्षण केंद्रों पर स्वयंसेवी महिला समूहों को प्रशिक्षण दिया जायेगा.
सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि ‘हम माओवाद प्रभावित और आदिवासी इलाकों से इस योजना को शुरू करेंगे जो सुदूर हैं और जहां की जनसंख्या कम है और जहां निजी गाड़ियां चलाना घाटा होता है. इन 10-12 सवारी क्षमता वाली मिनी-बसों की कीमत आठ लाख रुपये तक है और इनसे लोग अपने कृषि उत्पाद, मुर्गे-मुर्गियां इत्यादि भी स्थानीय बाजार तक लेकर जा सकेंगे. छत्तीगढ़ के बिलासपुर में हमने इस योजना का पूर्व परीक्षण किया था. हमने देखा कि न्यूनतम किराया लेने पर भी ये बसें ड्राइवर, खलासी और रखरखाव के खर्च के बाद अपने ब्याज मुक्त लोन का पैसा भी चुका सकती है’.
सिन्हा ने यह भी बताया कि परिवहन योजना प्रधानमंत्री सड़क योजना की पूरक योजना होगी जिसके तहत प्रतिदिन 150 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है. महिला स्वयंसेवी समूहों के लिए वित्तीय कमिटी पहले ही 127 करोड़ रुपये बजट को मंजूरी दे चुकी है.